Gurugram News Network – गुरुग्राम में होने वाले विकासकार्यों के लिए लगातार विवादो में रहा गुरुग्राम नगर निगम बार फिर से घोटाले की आंच में फंसता हुआ नजर आ रहा है । ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि एक प्राइवेट ऐजेंसी विज्ञापन मार्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने बिना टेंडर के लिए नगर निगम से 21 लाख रुपए का बिल पास करा लिया । खुलासा हुआ है कि ये बिल उस एवज में पास कराया गया है जो कार्यक्रम हो भी नहीं पाया था । अब इस पूरे मामले में नगर निगम के अधिकारी जांच करा सकते हैं ताकि पता चल सके कि किस अधिकारी की मिलीभगत के चलते जनता के टैक्स का पैसा नियमों का उल्लघंन करके लुटाया जा रहा है ।
दरअसल नगर निगम द्वारा लोगों से टैक्स के रुप में लिए गए पैसे का समय समय पर ऑडिट होता रहता है कि कहां कहां कितना रुपया विकास कार्यों पर खर्च किया जा रहा है । इसी तरह जब गुरुग्राम नगर निगम एरिया में हुए कार्यों का ऑडिट हुआ तो गुरुग्राम नगर निगम ज्वाइंट डायरेक्टर ऑडिट की रिपोर्ट में ये सामने आया है कि विज्ञापन मार्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने कोटेशन पर ही बिना टेंडर लगाए दो कार्यों के लिए नगर निगम से 21 लाख रुपए का बिल पास करा लिया । इस खुलासे के बाद गुरुग्राम नगर निगम कमिश्नर ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि कोटेशन पर कोई काम ना किया जाए ।
आपको बता दें कि गुरुग्राम नगर निगम द्वारा कराए जाने वाले 1 लाख रुपए तक के कार्य को बिना टेंडर प्रक्रिया के कराया जा सकता है लेकिन कोई कार्य 1 लाख रुपए से ज्यादा का है तो उसके लिए टेंडर प्रक्रिया से गुजरना जरुरी है । ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विज्ञापन मार्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 29 नवंबर 2022 को 13 लाख 2,171 रुपए का बिल बनाया जिसकी एवज में एजेंसी ने 30 हजार स्क्वेयर फीट के 200 फ्लैक्स बोर्ड, 5 स्टेंडी, 500 स्टीकर के अलावा सदर बाजार में इवेंट करवाया । इसके ठीक एक महीने बाद 26 दिसबंर 2022 को 8 लाख 21 बजार 871 रुपए का बिल पास हुआ जिसमें एजेंसी ने 3,080 स्क्वेयर फीट वॉल पेंटिंग, मोबाइल वैन और ओपन एयर थियेटर सेक्टर 29 में कार्यक्रम करवाया ।
इन दो कार्यक्रमों का बिल एजेंसी ने 21 लाख रुपए का बनाया जो कि नगर निगम के अधिकारियों ने नियमों से ऊपर जाकर पास भी कर दिया । सदर बाजार में हुए कार्यक्रम के लिए जो 13 लाख रुपए का बिल बनाया गया है वो कार्यक्रम सदर बाजार में हो भी नहीं पाया था । बड़ी बात ये है कि ये दोनों बिल सिर्फ कोटेशन पर ही बनाए गए ना कि कोई टेंडर लगाया गया । जबकि 1 लाख रुपए से ऊपर का कार्यों के लिए टेंडर लगाना जरुरी है ।
अब इस पूरे मामले का खुलासा होने के बाद नगर निगम कमिश्नर पीसी मीणा ने ऑर्डर जारी कर अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि एरिया में बिना टेंडर के कोई कार्य नहीं कराया जाएगा जिसकी कीमत 1 लाख रुपए से अधिक है । इस मामले में जांच करा सकता है कि आखिर बिना टेंडर प्रक्रिया के 21 लाख रुपए का बिल किस अधिकारी और किन परिस्थितियों में पास कराया गया है । क्या किसी अधिकारी ने मिलीभगत करके पैसा गबन करने के लिए या रिश्वत लेकर इस तरह का कार्य किया गया है, इन सब बातों का खुलासा जांच होने के बाद ही हो पाएगा ।