NGT के आदेश की अवहेलना करना पड़ा महंगा, पर्यावरण विभाग पर 50 हजार का जुर्माना लगाया
मामला पिछले छह साल से एनजीटी में विचाराधीन है, जो अरावली वन क्षेत्र में बह रहे जहरीले लीचेट (रिसाव) और अपर्याप्त कूड़ा निस्तारण से संबंधित है। एनजीटी ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए पर्यावरण विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को तलब कर लिया है।

NGT : गुरुग्राम के बंधवाड़ी कूड़ा निस्तारण प्लांट का विवाद गहराता जा रहा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने प्लांट से जुड़े पर्यावरणीय नुकसान पर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं करने के चलते राज्य पर्यावरण विभाग पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
मामला पिछले छह साल से एनजीटी में विचाराधीन है, जो अरावली वन क्षेत्र में बह रहे जहरीले लीचेट (रिसाव) और अपर्याप्त कूड़ा निस्तारण से संबंधित है। एनजीटी ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए पर्यावरण विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी को तलब कर लिया है। अब उन्हें 16 दिसंबर को होने वाली अगली सुनवाई में एनजीटी के सामने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
14 अगस्त 2025 को हुई सुनवाई में एनजीटी ने राज्य पर्यावरण सचिव सहित सभी संबंधित विभागों को चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया गया। सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान रिपोर्ट जमा न करने पर एनजीटी ने पर्यावरण विभाग पर यह जुर्माना लगाया। साथ ही, नगर निगम से भी कूड़ा निस्तारण की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है।
बंधवाड़ी लैंडफिल साइट के जहरीले रिसाव ने स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की चिंता और बढ़ा दी है। पर्यावरणविद वैशाली राणा ने इस पर्यावरणीय संकट को लेकर केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को लिखित शिकायत भेजी है।
राणा ने शिकायत में कहा है कि लगभग एक दशक से चल रहे इस संकट के कारण अरावली वन क्षेत्र और आसपास के पांच गांवों के 50,000 से अधिक निवासियों का जीवन खतरे में है। उनका आरोप है कि एनजीटी और हरियाणा मानवाधिकार आयोग के आदेशों की लगातार अवहेलना की जा रही है, जिससे प्रशासन की निष्क्रियता स्पष्ट होती है।