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Hero Honda चौक फ्लाईओवर पर 15 नवंबर तक फैसला, मरम्मत होगी या टूटेगा?

सीआरआरआई की इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट पर NHAI की उच्च-स्तरीय तकनीकी समिति (Technical Committee) विचार-विमर्श करेगी और अगले 15 नवंबर तक इस फ्लाईओवर पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

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Hero Honda : शहर के सबसे विवादित हीरो होंडा चौक फ्लाईओवर के भविष्य पर अब अंतिम फैसला आने वाला है। केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (CRRI) ने आखिरकार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में फ्लाईओवर के बड़े पैमाने पर मरम्मत की आवश्यकता बताई गई है, जिसने NHAI को एक गंभीर दुविधा में डाल दिया है: क्या लगभग 200 करोड़ की लागत से बने इस फ्लाईओवर को रेट्रोफिटिंग (संरचनात्मक सुधार) के जरिए बचाया जाए, या इसे तोड़कर नया निर्माण किया जाए?

सीआरआरआई की इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट पर NHAI की उच्च-स्तरीय तकनीकी समिति (Technical Committee) विचार-विमर्श करेगी और अगले 15 नवंबर तक इस फ्लाईओवर पर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

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जनवरी माह में फ्लाईओवर पर जयपुर से दिल्ली की ओर दो स्थानों पर बड़े गड्ढे होने और सरियों के बाहर निकल आने के बाद NHAI ने इसके करीब 200 मीटर हिस्से को बंद कर दिया था। इसके बाद ही सीआरआरआई को संरचनात्मक जांच का जिम्मा सौंपा गया था।

पाँच महीने की विस्तृत जांच के बाद सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्लाईओवर को तुरंत कोई बड़ा ढांचागत खतरा नहीं है, लेकिन इसमें कई गंभीर कमजोरियाँ मिली हैं जिनके लिए तत्काल और बड़े हस्तक्षेप की आवश्यकता है।

NHAI के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “सीआरआरआई की रिपोर्ट ने दो मुख्य विकल्प दिए हैं। पहला, कमजोर हिस्सों को रेट्रोफिटिंग तकनीक के माध्यम से मजबूत करना। दूसरा, स्लैब को पूरी तरह से हटाकर नए तरीके से निर्माण करना।” अधिकारी ने बताया कि इस रिपोर्ट को अब तकनीकी विशेषज्ञों की समिति के पास भेजा गया है, जो यह तय करेगी कि कौन सा विकल्प कम खर्चीला, सुरक्षित और टिकाऊ होगा।

हीरो होंडा चौक फ्लाईओवर को यातायात के लिए साल 2017 में खोला गया था, लेकिन इसके बाद से ही यह लगातार सुर्खियों में रहा है। अपने पाँच साल के छोटे से कार्यकाल में यह फ्लाईओवर अब तक चार बार धंस चुका है या इसमें बड़े गड्ढे हो चुके हैं।

साल 2014 में जिस फ्लाईओवर का निर्माण करीब 200 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया था, उसका बार-बार विफल होना इंजीनियरिंग और निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

शहर के लाखों यात्रियों के लिए यह फ्लाईओवर केवल आवागमन का साधन नहीं, बल्कि निर्माण की गुणवत्ता पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह बन गया है। अब NHAI को न केवल इंजीनियरिंग की समस्या, बल्कि जनता के भरोसे को बहाल करने की चुनौती का भी सामना करना पड़ेगा।

 

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