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Rain in Gurugram : दिल्ली-जयपुर हाईवे पर थमी वाहनों की रफ्तार, घर से निकलने वाले देख लें हालात

इस आधे घंटे की रिकॉर्डतोड़ बारिश ने एक बार फिर गुरुग्राम के ड्रेनेज सिस्टम की पोल खोल दी। शहर के प्रमुख चौराहे  कुछ ही मिनटों में दरिया में बदल गए। सबसे बुरी स्थिति इफको चौक  और नरसिंहपुर इलाके की रही, जो पूरी तरह जलमग्न हो गए।

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Rain in Gurugram : मंगलवार का दिन गुरुग्राम के लिए एक सामान्य कार्य दिवस की तरह शुरू हुआ, लेकिन दोपहर होते-होते मौसम ने अचानक अपनी चाल बदल दी।  सुबह से चली आ रही चिपचिपी उमस (Humidity) दोपहर करीब 3 बजे के आसपास गहरे, स्याह बादलों में बदल गई, जिसने पल भर में साइबर सिटी में अंधेरा फैला दिया। ठीक 3:30 बजे, मौसम विभाग के पूर्वानुमानों को धता बताते हुए, मूसलाधार बारिश का एक ऐसा स्पेल शुरू हुआ कि शहर की रफ्तार थम गई।

बारिश की बूंदें नहीं, बल्कि पानी की मोटी चादर बरस रही थी, जो रुक-रुक कर भी लगभग आधे घंटे तक पूरी तीव्रता से जारी रही। इस तीव्र वर्षा ने गर्मी से तो राहत दी, लेकिन अपने पीछे जलजमाव (Waterlogging) और यातायात अराजकता की एक पुरानी कहानी छोड़ गई।

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इस आधे घंटे की रिकॉर्डतोड़ बारिश ने एक बार फिर गुरुग्राम के ड्रेनेज सिस्टम की पोल खोल दी। शहर के प्रमुख चौराहे  कुछ ही मिनटों में दरिया में बदल गए। सबसे बुरी स्थिति इफको चौक  और नरसिंहपुर इलाके की रही, जो पूरी तरह जलमग्न हो गए।

इन व्यस्ततम जंक्शनों पर सड़क और सर्विस लेन का अंतर मिट गया था, और जलस्तर इतना बढ़ गया कि कारें आधी से ज़्यादा डूब गईं। कई जगह पानी इतना गहरा था कि दोपहिया वाहन चालकों को बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा। निचले इलाकों में घरों और दुकानों तक पानी घुसने की ख़बरें भी सामने आईं, जिससे लाखों का नुकसान होने का अंदेशा है। जल निकासी की व्यवस्था चरमरा जाने से हर तरफ सिर्फ पानी ही पानी नज़र आ रहा था।

शाम 5 बजे, जैसे ही दफ़्तरों की छुट्टी का समय हुआ, यह जलजमाव एक विकराल यातायात जाम (Traffic Jam) में बदल गया। दिल्ली-जयपुर हाईवे पर यह जाम इतना लंबा खिंचा कि इसने शहर की जीवनरेखा को थाम दिया। हीरो होंडा चौक (Hero Honda Chowk) से लेकर खेड़की दौला टोल प्लाजा (Kherki Daula Toll Plaza) तक करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।

इस दूरी को तय करने में लोगों को सामान्य 15 मिनट के मुकाबले दो घंटे तक का समय लग गया। दफ्तर से घर लौट रहे हज़ारों commuters (यात्रियों) को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हाइवे के मुख्य मार्ग के साथ-साथ सर्विस लेन भी पूरी तरह से डूब चुके थे, जिससे चालकों के पास आगे बढ़ने का कोई रास्ता नहीं बचा था।

गुरुग्राम की सड़कों पर फँसे लोगों में निराशा साफ दिखी। जाम में फँसे एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने कहा, “यह विडंबना है कि एक तरफ हम खुद को ‘मिलेनियम सिटी’ कहते हैं, और दूसरी तरफ आधे घंटे की बारिश में हमारी सारी व्यवस्था चरमरा जाती है।

हर साल सिर्फ दावे होते हैं, ज़मीनी स्तर पर कोई काम नहीं होता।” ट्रैफिक पुलिस को स्थिति संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ी, जिसके चलते देर रात तक सड़कों पर भारी भीड़ और धीमा यातायात बना रहा। इस एक दिन की बारिश ने एक बार फिर शहर के बुनियादी ढांचे (Infrastructure) और आपदा प्रबंधन (Disaster Management) की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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