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Gurugram मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण में मेक इन इंडिया तकनीक का होगा इस्तेमाल

मिलेनियम सिटी सेंटर (MCC) से साइबर सिटी तक बनने वाला यह दूसरा मेट्रो कॉरिडोर मौजूदा रैपिड मेट्रो से पूरी तरह अलग और स्वतंत्र होगा।

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Gurugram : ओल्ड गुरुग्राम मेट्रो परियोजना अब ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप आगे बढ़ेगी। गुरुग्राम मेट्रो रेल लिमिटेड (GMRL) की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में अधिकतम भारतीय तकनीक, उपकरण और संसाधनों का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही, परियोजना की अनुमानित लागत में भी भारी वृद्धि हुई है, जो अब बढ़कर ₹10,266.54 करोड़ हो गई है। यह संशोधित प्रस्ताव अंतिम मंज़ूरी के लिए आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) को भेजा जाएगा।

GMRL ने स्पष्ट किया है कि मिलेनियम सिटी सेंटर (MCC) से साइबर सिटी तक बनने वाला यह दूसरा मेट्रो कॉरिडोर मौजूदा रैपिड मेट्रो से पूरी तरह अलग और स्वतंत्र होगा। इसका ट्रैक, स्टेशन और परिचालन प्रणाली अलग होगी, यानी यह रैपिड मेट्रो के ट्रैक या सिस्टम के साथ एकीकृत नहीं होगा।

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परियोजना में एक महत्वपूर्ण बदलाव गुरुग्राम रेलवे स्टेशन की कनेक्टिविटी को लेकर किया गया है। पहले इसे एफओबी (फुट ओवर ब्रिज) से जोड़ने की योजना थी, लेकिन अब पीआईबी (सार्वजनिक निवेश बोर्ड) की सिफारिशों पर इसे मेट्रो स्पर (सहायक लाइन) के माध्यम से सीधे मेट्रो से जोड़ा जाएगा।

सेक्टर-5 से गुरुग्राम रेलवे स्टेशन तक 1.4 किलोमीटर लंबी अतिरिक्त स्पर लाइन बनाई जाएगी, जिससे परियोजना की लागत और बढ़ गई है।

 प्रारंभिक अनुमानित लागत  8,619.25 करोड़ थी, जो विभिन्न परिवर्तनों के कारण बढ़कर अंतिम रूप से 9,837.58 करोड़ हो गई। रेलवे स्टेशन स्पर को शामिल करने के बाद यह राशि अब 10,266.54 करोड़ तक पहुँच गई है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (NCRTC) द्वारा दिल्ली-गुरुग्राम-बावल आरआरटीएस कॉरिडोर में एयरो सिटी और खेड़की दौला के बीच किए गए बदलावों (कॉरिडोर की लंबाई और स्टेशन स्थान में परिवर्तन) का भी इस मेट्रो परियोजना पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा है।

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