Gurugram:यमुना को प्रदूषित होने से बचाने के लिए नया STP बनेगा,सेक्टर-107 में निर्माण करने की बनाई योजना
जीएमडीए ने सीवर शोधन संयंत्र के लिए गुरुग्राम नगर निगम से गांव दौलताबाद में 49.93 एकड़ जमीन मांगी थी। इस जमीन की एवज में गुरुग्राम नगर निगम ने 76 करोड़ रुपये मांगे थे, जिसमें जनवरी माह में जीएमडीए ने 50 करोड़ रुपये जमा करवा दिए थे।

Gurugram News Network – दिल्ली यमुना को प्रदूषित होने से बचाने के लिए सेक्टर-107 में सीवर शोधन संयंत्र तैयार किया जाएगा। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) ने सलाहकार नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जीएमडीए ने सीवर शोधन संयंत्र के लिए गुरुग्राम नगर निगम से गांव दौलताबाद में 49.93 एकड़ जमीन मांगी थी। इस जमीन की एवज में गुरुग्राम नगर निगम ने 76 करोड़ रुपये मांगे थे, जिसमें जनवरी माह में जीएमडीए ने 50 करोड़ रुपये जमा करवा दिए थे। जमीन नहीं मिलने की वजह से इस योजना के तहत काम शुरू नहीं हो पा रहा था।
जीएमडीए को सीवर शोधन संयंत्र के निर्माण को लेकर गुरुग्राम नगर निगम ने जमीन दे दी। इसके बाद जीएमडीए ने इस संयंत्र की डीपीआर तैयार करने के लिए एक सलाहकार कंपनी को नियुक्त करने की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। जमीन पर 100-100 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता के दो सीवर शोधन संयंत्र तैयार होने हैं।
350 करोड़ रुपये का खर्चा आएगा। पहले चरण में 100 एमएलडी क्षमता का संयंत्र तैयार किया जाएगा। इसके निर्माण पर करीब 170 करोड़ रुपये का खर्चा आने का अनुमान है।
हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने जीएमडीए के तीनों बरसाती नालों से नजफगढ़ नाले के समीप पानी के नमूने लिए थे। ये तीनों नमूने जांच में फेल पाए गए थे। बोर्ड ने इस मामले से मुख्यालय को अवगत करवाने के साथ-साथ जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को अवगत करवाया था।
एनजीटी ने आदेश जारी किए हुए हैं कि यमुना में प्रदूषित पानी नहीं डाला जाए। सीवर शोधन संयंत्र के पानी का इस्तेमाल सिंचाई में और हरियाली में किया जाए। इस पानी को यमुना में नहीं छोड़ा जाए। इसके बावजूद मात्र 10 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल जीएमडीए की तरफ से किया जा रहा है।
जीएमडीए ने सेक्टर-78 में सीवर शोधन संयंत्र के निर्माण की योजना बनाई थी, लेकिन यह अधर में अटकी हुई है। मानेसर नगर निगम से जीएमडीए ने तीन एकड़ जमीन मांगी थी। ये जमीन गैरमुमकिन पहाड़ के रूप में राजस्व रेकॉर्ड में दर्ज है। ऐसे में यह जमीन जीएमडीए को सुपुर्द नहीं हो पा रही है।