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Gurugram: बैंक कर्मचारी भी बने साइबर अपराधियों के मददगार, अब तक 35 को किया गिरफ्तार

यह पूरा मामला तब सामने आया जब 16 मार्च 2025 को गुरुग्राम के साइबर अपराध पश्चिम थाने में एक शिकायत दर्ज की गई। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हें एक मोबाइल ऐप के ज़रिए निवेश पर भारी मुनाफ़ा कमाने का लालच दिया गया। इस झांसे में आकर उन्होंने पैसे ट्रांसफर किए, लेकिन बाद में पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है।

Gurugram News Network –  साइबर ठगी के खिलाफ गुरुग्राम पुलिस की लड़ाई में एक नया और चिंताजनक मोड़ आया है। पुलिस ने हाल ही में ऐसे दो बैंक कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है जो सीधे तौर पर ऑनलाइन धोखाधड़ी में शामिल थे। इन कर्मचारियों का काम बैंक खातों से जुड़े मोबाइल नंबरों को बदलना था, ताकि ठगी के पैसों को आसानी से इधर-उधर किया जा सके।

इस गिरफ्तारी के साथ, गुरुग्राम पुलिस अब तक साइबर ठगी के मामलों में कुल 35 बैंक कर्मचारियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जो बैंकिंग सिस्टम में सेंधमारी की बढ़ती गंभीरता को दर्शाता है।

यह पूरा मामला तब सामने आया जब 16 मार्च 2025 को गुरुग्राम के साइबर अपराध पश्चिम थाने में एक शिकायत दर्ज की गई। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्हें एक मोबाइल ऐप के ज़रिए निवेश पर भारी मुनाफ़ा कमाने का लालच दिया गया। इस झांसे में आकर उन्होंने पैसे ट्रांसफर किए, लेकिन बाद में पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है।

हाई-प्रोफाइल मामले की जांच सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर अपराध)  प्रियांशु दीवान आईपीएस के नेतृत्व में शुरू हुई। थाना प्रबंधक इंस्पेक्टर संदीप कुमार की टीम ने तेज़ी से कार्रवाई करते हुए 1 जुलाई 2025 को गुरुग्राम से दो संदिग्धों को धर दबोचा। इनकी पहचान अंकित शर्मा (कानपुर, उत्तर प्रदेश) और जीतू उर्फ जितेंद्र (बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश) के रूप में हुई।

पुलिस पूछताछ में सामने आया कि ठगी गई 6 लाख रुपये की रकम जिस बैंक खाते में भेजी गई थी, उस खाते का असली रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर आरोपी अंकित शर्मा ने बदला था। चौंकाने वाली बात यह है कि अंकित शर्मा बंधन बैंक, कानपुर शाखा में कस्टमर रिलेशन ऑफिसर के तौर पर काम करता था। खाते में नया मोबाइल नंबर जोड़ने के लिए जो सिमकार्ड इस्तेमाल किया गया, उसे आरोपी जीतू उर्फ जितेंद्र ने उपलब्ध कराया था। जीतू भी उसी बंधन बैंक की कानपुर शाखा में फील्ड ऑफिसर था।

इस अवैध काम के लिए इन दोनों बैंक कर्मचारियों को 50-50 हज़ार रुपये का कमीशन मिला था। पुलिस को यह भी पता चला है कि जिस असली बैंक खाताधारक का मोबाइल नंबर बदला गया था, उसने भी बुलंदशहर में अपने खाते से बिना उसकी जानकारी के लेनदेन होने की शिकायत दर्ज करा रखी है। यह दिखाता है कि कैसे बैंककर्मी अपने पद का दुरुपयोग कर साइबर अपराधियों के लिए रास्ता बना रहे हैं।

पुलिस की पूछताछ में इन आरोपियों ने गुरुग्राम में हुई साइबर ठगी की एक और वारदात में अपनी संलिप्तता कबूल की है। यह दर्शाता है कि यह सिर्फ एक अकेला मामला नहीं है, बल्कि एक संगठित अपराध का हिस्सा है।

दोनों आरोपियों को 2 दिन की पुलिस रिमांड के बाद 4 जुलाई 2025 को माननीय न्यायालय में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। मामले की गहन जांच जारी है और पुलिस इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुटी हुई है।

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