Delhi Flyover: सालों का इंतजार अब होगा खत्म, दिल्ली के इन 14 फ्लाईओवरों की बदलेगी सूरत
दिल्ली वासियों के लिए राहत की खबर है। पिछले एक दशक से मरम्मत की बाट जोह रहे दिल्ली के फ्लाईओवर अब सुधरेंगे। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने राजधानी के 17 पुराने फ्लाईओवर की मरम्मत शुरू कर दी है

Delhi Flyover: दिल्ली वासियों के लिए राहत की खबर है। पिछले एक दशक से मरम्मत की बाट जोह रहे दिल्ली के फ्लाईओवर अब सुधरेंगे। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने राजधानी के 17 पुराने फ्लाईओवर की मरम्मत शुरू कर दी है। सबसे पहले हनुमान सेतु फ्लाईओवर पर काम शुरू किया गया है, जहां एक्सपेंशन जॉइंट बदले जा रहे हैं।
2005 से पहले बने सभी फ्लाईओवर की होगी जांच
पीडब्ल्यूडी की योजना के तहत 2005 से पहले बने सभी फ्लाईओवर का तकनीकी सर्वेक्षण किया जाएगा और जिनकी मरम्मत की जरूरत है, उन्हें ठीक किया जाएगा। इन फ्लाईओवर में एक्सपेंशन जॉइंट, बेयरिंग और स्ट्रक्चरल कंपोनेंट में खराबी की शिकायत सालों से मिल रही थी, लेकिन काम शुरू नहीं हुआ था।
क्यों जरूरी है मरम्मत?
विशेषज्ञों के मुताबिक समय के साथ फ्लाईओवर में ट्रैफिक के अत्यधिक दबाव, मौसम और कंपन के कारण छोटी-मोटी तकनीकी खराबी आ जाती है। 15 साल बाद एक्सपेंशन जॉइंट आमतौर पर खराब हो जाते हैं, जिससे वाहनों को झटका लगता है। बेयरिंग के घिस जाने से फ्लाईओवर की ‘जंपिंग’ क्षमता खत्म हो जाती है, जिससे स्ट्रक्चर पर दबाव बढ़ जाता है। इन कमियों के कारण लोगों को परेशानी होती है, क्योंकि फ्लाईओवर से गुजरते समय सड़क समतल नहीं लगती।
पिछली सरकार की लापरवाही अब सुधार का एजेंडा बन रही है
कुछ साल पहले पीडब्ल्यूडी द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पता चला था कि इन फ्लाईओवर की हालत चिंताजनक है। इसके बाद विभाग ने सीआरआरआई (केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान) से तकनीकी अध्ययन कराने की योजना बनाई थी, लेकिन पिछली सरकार के दौरान योजना में देरी हो गई। अब मौजूदा सरकार ने इस दिशा में गंभीरता दिखाई है और काम की गति तेज कर दी है।
कहां शुरू हो रहा है काम?
हनुमान सेतु पर मरम्मत का काम चल रहा है। शादीपुर और राजा गार्डन फ्लाईओवर पर भी जल्द काम शुरू होने वाला है। तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर बाकी 14 फ्लाईओवर की मरम्मत की जाएगी। पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारी प्राथमिकता फ्लाईओवर की तकनीकी जांच कराना है, ताकि सुरक्षा से समझौता न हो। समय-समय पर एक्सपेंशन ज्वाइंट और बेयरिंग जैसी संरचनात्मक चीजों को बदला जाना चाहिए। काम वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है।”