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शगुन के लिफाफे में हम एक रुपये का अतिरिक्त सिक्का क्यों रखते हैं ?

Gurugram News Network – किसी भी मांगलिक कार्य के समय शगुन के तौर पर 101, 251 या 501 रूपये दिए जाते है जबकि आज के समय में सभी के पास 50,100, 200 व् 500 के नोट तो सभी के पास मिल जाते है लेकिन 01 रूपये का सिक्का कम ही लोग अपने पास रखते है | लेकिन मांगलिक कार्यो के समय सभी यदि लिफाफा नहीं देते तो भी 01 रुपया बढ़ाकर अवश्य शगुन लिखवाते है | आखिर 01 रुपया बढ़ाकर लिखवाने का क्या है महत्व ?

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  1. संख्या ‘0’ अंत का प्रतीक है जबकि ‘1’ शुरुआत का प्रतीक है। वह एक रुपये का सिक्का जोड़ा जाता है ताकि रिसीवर को शून्य के पार आने की जरूरत न पड़े !

 

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  1. आशीर्वाद अविभाज्य हो जाते हैं !

वह एक रुपया वरदान है।  101, 251, 501, आदि जैसी रकम।  अविभाज्य हैं।  इसका मतलब है कि आपके द्वारा दी गई शुभकामनाएँ, शुभकामनाएँ और आशीर्वाद अविभाज्य हैं।

 

  1. यह एक कर्ज है जिसका अर्थ है ‘हम फिर मिलेंगे’।

वह अतिरिक्त एक रुपया जमा माना जाता है।  उस एक रुपये को देने का मतलब है कि असली जमा का भार प्राप्तकर्ता पर है जिसे फिर से आना होगा और देने वाले से मिलना होगा।  एक रुपया निरंतरता का प्रतीक है।  यह उनके बंधन को मजबूत करेगा।  इसका सीधा सा मतलब है, “हम फिर मिलेंगे !

  1. धातु देवी लक्ष्मी का अंश है।

धातु पृथ्वी से आती है और इसे देवी लक्ष्मी का अंश माना जाता है। यदि  एक रूपये का सिक्का धातु का हो तो  अच्छा है !

 

  1. शगुन का 1 रुपये निवेश के लिए है। शेष राशि को शगुन लेने वाला खर्च कर सकता है !

शगुन देते समय हम कामना करते हैं कि जो धन हम देते हैं वह बढ़े और हमारे प्रियजनों के लिए समृद्धि लाए।  जहां शगुन की बड़ी रकम खर्च करने के लिए होती है, वहीं एक रुपया विकास का बीज होता है।  नकद या वस्तु या कर्म में वृद्धि के लिए इसे बुद्धिमानी से निवेश या दान में देना है !