Vande Bharat एक्सप्रेस चली गई गलत ट्रैक पर, 15 घंटे का सफर 28 घंटे में!
गुरुग्राम आ रही वंदे भारत एक्सप्रेस, 900KM की जगह 1400KM की यात्रा कर बनाया 'अनचाहा रिकॉर्ड'

Vande Bharat एक्सप्रेस की अनचाही लंबी यात्रा: 15 घंटे का सफर 28 घंटे में !
भारतीय रेलवे की महत्वाकांक्षी सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन, वंदे भारत एक्सप्रेस, हाल ही में एक ऐसी घटना के कारण सुर्खियों में आ गई जिसने रेलवे के परिचालन (ऑपरेशनल) पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना साबरमती से गुरुग्राम के बीच चलने वाली एक स्पेशल वंदे भारत ट्रेन (ट्रेन संख्या 09401) से संबंधित है, जिसने अपनी निर्धारित दूरी और समय से कहीं अधिक यात्रा की। एक बड़ी परिचालन चूक के कारण, यह ट्रेन अपनी 898 किलोमीटर की दूरी और लगभग 15 घंटे के सफर को पूरा करने के बजाय, लगभग 1400 किलोमीटर की लंबी दूरी तय करते हुए 28 घंटे में अपने गंतव्य पर पहुंची।
तकनीकी खामी से रूट बदलना पड़ा
यह घटना रेलवे के लिए बड़ी शर्मिंदगी का कारण बन गई। बताया जाता है कि ट्रेन के गलत ट्रैक पर जाने की मुख्य वजह एक तकनीकी खामी थी, जिसका पता ट्रेन के रवाना होने के तुरंत बाद चला। असल में, ट्रेन के लिए आवंटित रेक (कोच) में “हाई-रीच पेंटोग्राफ” (High-Reach Pantograph) मौजूद नहीं था। पेंटोग्राफ वह उपकरण होता है जो ट्रेन की छत पर लगा होता है और ओवरहेड इलेक्ट्रिक वायर (OHE) से बिजली प्राप्त करता है।
यह वंदे भारत ट्रेन जिस सेक्शन (मेहसाणा के पास) से गुज़रने वाली थी, वह हाई-राइज ओएचई सेक्शन था। ये ऊँचे तार आमतौर पर डबल-स्टैक कंटेनर मालगाड़ियों के सुगम आवागमन के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। वंदे भारत जैसी यात्री ट्रेनों में लो-रीच पेंटोग्राफ लगा होता है, जो इन ऊंचे तारों से बिजली का संपर्क नहीं बना सका। नतीजतन, ट्रेन बीच रास्ते में रुक गई और अधिकारियों को आनन-फानन में रूट बदलना पड़ा।
यात्रियों को हुई भारी परेशानी
इस तकनीकी और परिचालन चूक के कारण, वंदे भारत ट्रेन को अपने सामान्य रूट – साबरमती से अजमेर, जयपुर होते हुए गुरुग्राम – से भटकना पड़ा। यह ट्रेन महेसाणा के पास अटकी, फिर इसे रीरूट (reroute) किया गया। यात्रियों को गति और आराम की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें 15 घंटे के बजाय लगभग 28 घंटे की लंबी, थका देने वाली यात्रा करनी पड़ी। ट्रेन की इस अनचाही देरी और रूट बदलने से यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
अनचाहा ‘रिकॉर्ड’ और रेलवे की लापरवाही
विडंबना यह है कि इस घटना ने अनजाने में ही सही, एक “रिकॉर्ड” भी बना दिया। एक बार में 1400 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह किसी भी वंदे भारत ट्रेन की अब तक की सबसे लंबी यात्रा रही। हालांकि, यह रिकॉर्ड गर्व का नहीं, बल्कि रेलवे की एक बड़ी तकनीकी और योजनागत भूल का प्रतीक बन गया।
वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों ने इस गलती को स्वीकार किया है, उनका कहना है कि यह एक बुनियादी तकनीकी गलती थी जिसकी जांच ट्रेन को चलाने से पहले ही कर लेनी चाहिए थी। हाई-रीच पेंटोग्राफ के बिना ऊंचे ओएचई सेक्शन पर वंदे भारत को चलाना संभव नहीं था। यह घटना भारतीय रेलवे के लिए एक सबक है कि सबसे आधुनिक ट्रेनें भी खराब योजना और लापरवाही के कारण लड़खड़ा सकती हैं, जिससे यात्रियों की सुविधा और रेलवे की प्रतिष्ठा दोनों को नुकसान पहुंचता है। फ़िलहाल, इस चूक के लिए किसी अधिकारी पर कार्रवाई की घोषणा नहीं की गई है, लेकिन यह घटना रेलवे की योजना और परिचालन प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करती है।