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Gurugram Prince Murder Case – मर्डर केस में कंडक्टर को झूठा फंसाने पर ACP समेत 4 पुलिसकर्मी फंसे, अब चलेगा मुकद्दमा

सितंबर 2017 में गुरुग्राम के भोंडसी स्थित एक स्कूल में सात वर्षीय प्रिंस की स्कूल के बाथरूम में गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। इस जघन्य वारदात के बाद गुरुग्राम पुलिस ने आनन-फानन में स्कूल के बस कंडक्टर अशोक कुमार को हत्या का आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार कर लिया था।

Gurugram News Network – गुरुग्राम के एक स्कूल में हुए सात वर्षीय प्रिंस हत्याकांड में एक और बड़ा मोड़ आया है। पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने शुरुआती जांच में निर्दोष बस कंडक्टर अशोक कुमार को फंसाने के आरोप में एक सेवानिवृत्त डीएसपी सहित चार पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इन पुलिसकर्मियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की गंभीर धाराओं के तहत मामला चलाने का निर्देश दिया है, जिनमें आजीवन कारावास का प्रावधान भी शामिल है।

15 जुलाई को कोर्ट में पेशी का समन जारी
पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने सभी चारों पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाते हुए उन्हें 15 जुलाई को कोर्ट में पेश होने के लिए सम्मन जारी किया है। इन पर आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक षड्यंत्र), 166ए (लोक सेवक द्वारा कानून की अवज्ञा), 167 (चोट पहुँचाने के इरादे से गलत दस्तावेज़ बनाना), 194 (मृत्युदंड योग्य अपराध के लिए झूठे सबूत देना या गढ़ना), 330 (जबरन कबूलनामा के लिए चोट पहुँचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला चलाया जाएगा।

धारा 194 विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मृत्युदंड योग्य अपराध के लिए झूठे सबूत गढ़ने से संबंधित है और इसमें आजीवन कारावास तक का दंड हो सकता है।

सितंबर 2017 में गुरुग्राम के भोंडसी स्थित एक स्कूल में सात वर्षीय प्रिंस की स्कूल के बाथरूम में गला रेतकर हत्या कर दी गई थी। इस जघन्य वारदात के बाद गुरुग्राम पुलिस ने आनन-फानन में स्कूल के बस कंडक्टर अशोक कुमार को हत्या का आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार कर लिया था। हालांकि, अशोक के परिजनों और प्रिंस के परिवार ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाए और निष्पक्ष जांच की मांग की। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के हस्तक्षेप के बाद, मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई।

सीबीआई ने मामले की गहन जांच करते हुए बस कंडक्टर अशोक कुमार को क्लीन चिट दे दी। सीबीआई ने अपनी जांच में पाया कि वास्तविक आरोपी स्कूल में पढ़ने वाला 12वीं कक्षा का एक छात्र (जिसे ‘भोलू’ नाम से जाना जाता है) था, जिसने कथित तौर पर परीक्षा टालने और पेरेंट्स-टीचर मीटिंग रद्द करवाने के उद्देश्य से प्रद्युम्न की हत्या की थी। सीबीआई ने बाद में ‘भोलू’ को गिरफ्तार कर आरोपी बनाया था। वर्तमान में, ‘भोलू’ पर गुरुग्राम की अदालत में एक वयस्क के रूप में मुकदमा चल रहा है।

सीबीआई ने साल 2021 में तत्कालीन गुरुग्राम पुलिस में तैनात रहे सेवानिवृत्त डीएसपी/एसीपी सोहना बीरम सिंह, भोंडसी थाना प्रभारी (निरीक्षक) नरेंद्र खटाना, जांच अधिकारी उप-निरीक्षक शमशेर सिंह और ईएसआई सुभाष चंद को आरोपी बनाते हुए सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की थी। सीबीआई ने इन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला चलाने के लिए हरियाणा सरकार से अनुमति मांगी थी, लेकिन सरकार ने यह कहते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया था कि पुलिसकर्मियों ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया।

हरियाणा सरकार द्वारा अनुमति न दिए जाने पर, सीबीआई और प्रद्युम्न के पिता ने साल 2023 में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने जनवरी 2025 में हरियाणा सरकार पर सख्त टिप्पणी करते हुए एक महीने के भीतर नया आदेश पारित करने को कहा था, यह रेखांकित करते हुए कि पुलिसकर्मियों के खिलाफ “पर्याप्त साक्ष्य” हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद, सरकार की तरफ से कोई नया आदेश पारित नहीं हुआ।

इसके बाद, मई 2025 में सीबीआई और प्रिंस के पिता ने पंचकूला की सीबीआई स्पेशल कोर्ट में अपील दायर करते हुए तर्क दिया कि इन पुलिसकर्मियों पर मामला चलाने के लिए सरकार की अनुमति की आवश्यकता नहीं है, और कोर्ट स्वयं भी संज्ञान ले सकता है। इस अपील पर सुनवाई करते हुए पंचकूला की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को चारों पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं।

यह घटनाक्रम दर्शाता है कि न्याय की लड़ाई लंबी और चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन अंततः सत्य और न्याय की जीत होती है। इस मामले में पुलिसकर्मियों पर हुई यह कार्रवाई कानून के शासन और जवाबदेही के सिद्धांत को मजबूत करती है।

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