जिले में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, GRAP की स्टेज-4 लागू
Gurugram News Network- गुरुग्राम में प्रदूषण का स्तर खतरनाक होता जा रहा है। बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए जिले में ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) की स्टेज-4 को लागू करते हुए कई पाबंदियां लगा दी गई हैं। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने GRAP-4 में न केवल निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगाया गया है बल्कि दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में डीजल के भारी वाहनों के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं, स्कूल में छात्रों को बुलाने की बजाय उनकी ऑनलाइन क्लास लगाए जाने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही सरकारी व गैर सरकारी संस्थान में कर्मचारियों की संख्या 50 प्रतिशत करने अथवा आवश्यक न होने पर उन्हें कार्यालय न बुलाकर वर्क फ्रॉम होम देने की सलाह दी गई है। आदेशों में प्रशासन को यह भी सलाह दी गई है कि जरूरत पड़ने पर जिले में वाहनों के लिए ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया जा सकता है।
एडवाइजरी की जानकारी देते हुए डीसी निशांत कुमार यादव ने गुरुग्राम वासियों से आह्वान किया है कि पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण से बचाव की दिशा में जिला प्रशासन द्वारा उठाए जा रहे निर्णायक कदमों में आमजन भी अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि यह हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि GRAP-4 में पहले से चली आ रही पाबंदियों के साथ कुछ अन्य पाबंदियां भी जोड़ी गई हैं। वहीं, लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए भी एडवाइजरी जारी की गई है।
डीसी निशांत कुमार यादव ने वायु प्रदूषण के बचाव व निवारण के उपायों की जानकारी देते हुए बताया कि सभी नागरिक सुबह और देर शाम को बाहर टहलना, दौड़ना और शारीरिक व्यायाम करने से परहेज करें। साथ ही सुबह और देर शाम के समय बाहरी दरवाजे और खिड़कियां न खोलें, यदि आवश्यक हो तो यह कार्य दोपहर 12 बजे से 4 बजे के बीच किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि लकड़ी, कोयला, पशुओं का गोबर, मिट्टी का तेल जैसे बायोमास जलाने से बचें। खाना पकाने और हीटिंग उद्देश्यों के लिए स्वच्छ धुआं रहित ईंधन (गैस या बिजली) का उपयोग करें। यदि बायोमास का उपयोग कर रहे हैं, तो स्वच्छ कुक स्टोव का उपयोग करें। चूंकि यह सर्दियों का मौसम है ऐसे में अंगीठी में लकड़ी का कोयला व किसी भी प्रकार की लकड़ी, पत्तियां, फसल अवशेष और अपशिष्ट को खुले में जलाने से भी परहेज करें।
उन्होंने बताया कि चूंकि पूरे एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण काफी उच्च स्तर पर है ऐसे में बंद परिसर में मच्छर भगाने वाली क्वाइल और अगरबत्ती जलाने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। वहीं अपनी आंखों को प्रदूषण से बचाने के लिए उन्हें नियमित रूप से साफ पानी से धोते रहें और गले मे सांस लेने में कोई परेशानी ना हो इसके लिए गर्म पानी से नियमित गरारे करें। इस दौरान यदि आपको सांस फूलना, चक्कर आना, खांसी, सीने में तकलीफ या दर्द, आंखों में जलन (लाल या पानी आना) जैसा महसूस हो तो अपने नजदीकी डॉक्टर से सलाह लें।
डीसी ने हृदय संबंधी बीमारियों से प्रभावित आमजन को प्रदूषण से बचाव के उपायों की जानकारी देते हुए बताया कि वायुमंडल में बढ़ते एक्यूआई के बीच ऐसे व्यक्ति किसी भी प्रकार की अनावश्यक गतिविधियों से अपना बचाव रखें। स्वास्थ्य देखभाल पर डॉक्टर के निर्देशों का ठीक से पालन करते हुए शरीर के संकेतात्मक लक्षणों के बढ़ने पर भी नज़र रखें। साथ ही जो निर्धारित दवाएँ हैं उनकी अपने पास उपलब्धता बनाए रखें। यदि घर से बाहर निकलना जरूरी है तो फेस मास्क का इस्तेमाल करें।
डीसी ने कहा कि जिला में प्रदूषण पर रोक लगाने हेतु पब्लिक ट्रांसपोर्ट का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना जरूरी है। इसलिए बेहतर होगा कि हम अपनी दैनिक दिनचर्या में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देकर अपने निजी वाहनों का कम से कम इस्तेमाल करें। उन्होंने आमजन से आह्वान किया कि वे अपने रिहायसी सर्कल जैसे नजदीकी बाजार व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर जाने के लिए पैदल चलें अथवा ई रिक्शा व साईकिल का उपयोग करें।
डीसी ने शहर की विभिन्न आरडब्ल्यूए से भी आह्वान किया कि जिन आरडब्ल्यूए के पास पेड़ो की धुलाई के लिए स्प्रिंकल मशीनें व अन्य संसाधन उपलब्ध हैं वे उनकी पूरी क्षमता का उपयोग करते हुए प्रदूषण को कम करने में सहयोग करें। साथ ही अपने अपने क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर जिला प्रशासन द्वारा जारी दिशा निर्देशों की पालना करवाना भी सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि जिला में ग्रेप के तीसरे चरण के तहत विभिन प्रकार की पाबंदियां लगाई गई है। जिसमें निर्माण कार्य की रोकथाम भी प्रमुख है। डीसी ने कहा कि सभी आरडब्ल्यूए यह सुनिश्चित करें कि उनके अधिकार क्षेत्र में कोई भी निर्माण सामग्री खुले में ना पड़ी रहे। बेहतर रहेगा कि उस पर पानी का छिड़काव कर उसे तिरपाल से ढका जाए।