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एक और खतरनाक सोसाइटी को DC ने खाली करने के दिए निर्देश

Gurugram News Network- सेक्टर 37 डी की NBCC ग्रीन व्यू सोसाइटी के मामले में बुधवार को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष एवं उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने सोसाइटी निवासियों तथा नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एनबीसीसी) के शीर्ष अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक बुलाई। बैठक में सोसाइटी में रहने वाले लोगों की सुरक्षा को देखते हुए रेजिडेंट्स को 1 मार्च तक अपने फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया गया है। बताया गया कि सोसाइटी में 140 परिवार रह रहे हैं।

 

NBCC द्वारा इन परिवारों को वैकल्पिक आवासीय सुविधा में शिफ्ट करने की ऑप्शन दिया गया है। शिफ्टिंग का खर्च एनबीसीसी वहन करेगा और यदि परिवार NBCC द्वारा सुझाए गए वैकल्पिक आवास में नहीं रहना चाहता तो वह जिस आकार के फ्लैट में अभी रह रहा है उसी अनुरूप अपनी सुविधा अनुसार फ्लैट किराए पर लेकर रह सकता है जिसका किराया भी NBCC वहन करेगा।

 

लघु सचिवालय के प्रथम तल पर सभागार में आयोजित इस बैठक में उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने कहा कि जो रेजिडेंट्स रिफंड लेना चाहते हैं, उनके मामले में  जिला प्रशासन NBCC को 1 महीने में ब्याज के साथ रिफंड करने का आदेश देगा, जिसमें साधारण दरो पर कानून व विधिक प्रावधानों के हिसाब से जो ब्याज बनता है, वो दिया जाएगा। उन्होंने बैठक में उपस्थित रेजिडेंट्स को समझाया कि उनके फ्लैटों का मालिकाना हक उनका ही रहेगा और मालिक को वाजिब मुआवजा दिए बगैर डिमोलिशन अर्थात तोड़फोड़ नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि दूसरी एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद रिफंड के बारे में निर्णय लिया जाएगा और उस रिपोर्ट में यदि यह आ जाता है कि बिल्डिंग रहने के लिए सुरक्षित है या कुछ मरम्मत आदि के बाद ठीक हो सकती है, ऐसी स्थिति में भी जो रेजिडेंट्स वहां रहने के इच्छुक नहीं हैं और रिफंड चाहते हैं, उन्हें कानून संगत ब्याज के साथ रिफंड दिया जाएगा।

 

उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट आने पर अगर बिल्डिंग की रिपेयर करने के बाद NBCC रेजिडेंट्स को सेफ्टी सर्टिफिकेट देता है तो वहां पर जो रहना चाहते हैं, वे उस सोसाइटी में रह सकते हैं, लेकिन अभी वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए सभी को एक बार सोसाइटी को खाली ही करना होगा। बाद में कोई अनहोनी हो गई तो हम में से कोई भी अपने आप को माफ नहीं कर पाएगा। लोगों की सुरक्षा को देखते हुए रिफंड और सोसाइटी को खाली करने के मामले को आपस में जोड़कर नहीं देखा जा सकता क्योंकि सरकार और प्रशासन के लिए रेजिडेंट्स के जानमाल की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की सहानुभूति रेजिडेंट्स के साथ है।

 

इस मामले में यह सामने आया है कि गलती NBCC और ठेकेदार की है, रेजिडेंट्स तो पीड़ित है। उन्होंने कहा कि बिल्डिंग के स्ट्रक्चर के बारे में IIT दिल्ली द्वारा दी गई रिपोर्ट रेजिडेंट्स के साथ सांझी की जाएगी। यही नहीं, CPRI और IIT रुड़की के चार सदस्यों की जो दूसरी नई एक्सपर्ट कमिटी बनी है, वह बिल्डिंग का सेफ्टी ऑडिट करने के दौरान रेजिडेंट्स के प्रतिनिधियों से भी बात करेगी और सभी पहलुओं के बारे में बताएगी।

 

बैठक में NBCC के CMD पी के गुप्ता और CGM नॉमन अहमद उपस्थित थे। रेजिडेंट्स का पक्ष सुनने के बाद गुप्ता ने कहा कि वे इस बात से इनकार नहीं करते कि रेजिडेंट्स पीड़ित है और चूंकि फ्लैट्स NBCC ने बनवाए हैं तो वह दोषी है। साथ ही उन्होंने कहा कि 700 से 800 फ्लैट के कांप्लेक्स की 4 से 5 साल में यह हालत हो गई, ऐसा कम होता है। उन्होंने कहा कि शुरू में हम भी हैरान थे कि ऐसा क्यों हुआ, हम समझ नहीं पाए की बिल्डिंग के बाहरी हिस्से में क्रैक या दरारें कैसे आ रही हैं। इसीलिए IIT दिल्ली के विशेषज्ञ को सेफ्टी ऑडिट पर लगाया। गुप्ता ने कहा कि वहां से प्रोफेसर अनूप कृष्णन आए थे और साथ में मैं भी था। IIT दिल्ली की टीम ने अध्ययन किया, उन्होंने टेस्टिंग रिकमेंड की, जिसमें देखा गया कि वहां के पानी में क्लोराइड ज्यादा है, जिससे कोरोजन हो रहा है। उन्होंने कहा कि बिल्डिंग बनाने के बाद कुछ समय के लिए डिफेक्ट लायबिलिटी ठेकेदार की होती है। हम मरम्मत करवाना चाहते थे, लेकिन इस दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर आ गई।

 

उन्होंने यह भी कहा कि जब मरम्मत करने लगे तो काम इतना ज्यादा निकला जिसका अंदाजा किसी ने नहीं लगाया था। इसके बाद बारिश आ गई और उसमें पानी भर गया। उसके बाद IIT दिल्ली की टीम भी हैरान थी कि वे भी इसका आकलन नहीं कर पाए कि बिल्डिंग इतनी तेज गति से क्षतिग्रस्त हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा मामला उनके सामने पहले कभी नहीं आया था। IIT दिल्ली ने अपना निष्कर्ष दिया कि सोसाइटी की बिल्डिंग अनसेफ अर्थात असुरक्षित है, अतः इन्हें 2 महीने में खाली करवाएं। इसके बाद NBCC यह निर्णय नहीं कर पाया कि बिल्डिंग की मरम्मत करवाई जाए या उसे डिस्मेंटल अर्थात तोड़ दिया जाए, इसीलिए CPRI तथा IIT रुड़की के 4 सदस्यों की एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई। उनकी अनुशंसा पर सोसाइटी में फिर कई टेस्टिंग करवाई गई है, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है।

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