Gurugram News Network - विश्व में अपना नाम बना चुकी साइबर सिटी का कड़वा सच अब लोगों के सामने आने लगा है। यहां नेताओं के लिए पूरे ऐशो आराम वाला फाइट स्टार रेस्ट हाउस व पांच मंजिला पार्टी का कार्यालय तो चंद दिनों में ही तैयार हो जाता है, लेकिन लोगों की जरूरत के लिए सरकारी अस्पताल को तैयार किए जाने में वर्षों तक योजनाएं ही बनती रह जाती हैं। अस्पताल में न तो दवाएं मिल पाती हैं और न ही मरीजों को इलाज समय पर मिल पाता है। जिन लोगों को इलाज मिल भी जाता है तो उनकी जान भी जोखिम में पड़ जाती है। ऐसा ही एक मामला सोमवार को साइबर सिटी में देखने को मिला है। जब ऑपरेशन थियेटर से निकला मरीज अस्पताल की लिफ्ट में फंस गया। करीब आधे घंटे तक वह ऑपरेशन के दर्द और लिफ्ट में हुई घुटन से परेशान होता रहा। आधे घंटे बाद अस्पताल प्रबंधन की तरफ से लिफ्ट को खुलवाकर मरीज को बाहर निकलवाया गया। वहीं मामले में अस्पताल प्रबंधन कुछ भी बोलने से बचता फिर रहा है।
जानकारी के मुताबिक, करीब 24 वर्षीय युवक अस्पताल में पैर का ऑपरेशन कराने के लिए आया था। सोमवार को उसका पहली मंजिल पर बने ऑपरेशन थियेटर में ऑपरेशन किया गया और उसे ग्राउंड फ्लोर पर बने सर्जिकल वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा था। जब उसे स्ट्रेचर पर लिफ्ट के जरिए ले जाया जा रहा था तो अचानक लाइट चली गई और लिफ्ट रुक गई। अस्पताल का जनरेटर खराब होने के कारण लिफ्ट को शुरू नहीं कराया जा सका। कुछ देर तक तो मरीज व उसके परिजनों द्वारा शोर मचाकर लिफ्ट में फंसे होने की जानकारी लोगों को दी, लेकिन अस्पताल प्रबंधन करीब आधे घंटे में हरकत में आया और लिफ्ट का दरवाजा खोलकर मरीज को बाहर निकाला जा सका।
वहीं मामले में जब अस्पताल के डीएमएस डॉ नीरज यादव से बात की गई तो उन्होंने बताया कि अस्पताल में लाइट अक्सर जाती रहती है। ऐसे में मरीजों को परेशानी हो जाती है। वहीं सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र यादव का कहना है कि मामला संज्ञान में आया है। मामले की जांच कराई जाएगी। लाइट जाना और लिफ्ट न खुलना दोनों अलग-अलग मैटर हैं। यदि मरीज को लिफ्ट से नीचे लाते वक्त लाइट चली भी गई थी तो लिफ्ट को नीचे पहुंचकर खुलना चाहिए था। मामले की जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे उसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।आपको बता दें कि अस्पताल में बिजली कटौती होती रहती है। यहां लगाया गया जनरेटर भी काफी समय से खराब पड़ा हुआ है जिसे ठीक कराने के लिए विभाग के पास बजट की दिक्कत है। ऐसे में यदि किसी दिन बिजली ट्रांसफार्मर अथवा लाइन में कोई दिक्कत आ जाए तो मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना तो दूर उन्हें प्राथमिक उपचार तक नहीं दिया जा सकेगा।