बिना मंजूरी के प्रतिबंधित दायरे में नौ सोसाइटियां बनकर तैयार,वन विभाग की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
सर्वे में सामने आया कि नौ सोसाइटियां बनकर तैयार हो चुकी हैं। नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के मुख्यालय ने अनापत्ति प्रमाण पत्र की बिना जांच किए इन सोसाइटियों के नक्शे मंजूर कर दिए। अधिकांश सोसाइटियों को कब्जा प्रमाण पत्र तक जारी कर दिया।
Gurugram News Network – Sultanpur Bird sanctuary के पांच किलोमीटर प्रतिबंधित दायरे में पर्यावरण मंत्रालय की बिना अनुमति के 110 गलत तरीके निर्माण हो गए हैं। इनमें नौ सोसाइटियां और अधिकांश फार्म हाउस भी शामिल हैं। इसका खुलासा हाल ही में किए गए वन विभाग की सर्वे रिपोर्ट में हुआ है। वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण ने सदस्य सचिव को आदेश जारी किए हैं कि इन सभी इमारतों के खिलाफ अगले सप्ताह तक पर्यावरण नियमों की अवहेलना पर अदालत में याचिका दायर की जाए।
बता दे कि केंद्र सरकार ने सुल्तानपुर बर्ड सेंचुरी को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया हुआ है। ऐसे में पांच किलोमीटर दायरे में निर्माण पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया है। पिछले दिनों वन विभाग ने सर्वे किया, जिसमें पाया कि इस दायरे में अवैध रूप से निर्माण हो रहे हैं। नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग ने नौ बिल्डर को ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी बनाने के लिए लाइसेंस जारी कर दिया। लाइसेंस में शर्त है कि इन्हें पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना है। इन बिल्डर ने आवेदन तो किया, लेकिन अनापत्ति प्रमाण पत्र लिए बिना निर्माण कार्य शुरू कर दिया।
सर्वे में सामने आया कि नौ सोसाइटियां बनकर तैयार हो चुकी हैं। नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के मुख्यालय ने अनापत्ति प्रमाण पत्र की बिना जांच किए इन सोसाइटियों के नक्शे मंजूर कर दिए। अधिकांश सोसाइटियों को कब्जा प्रमाण पत्र तक जारी कर दिया। अब इन सोसाइटियों में बने फ्लैट में करीब सात हजार परिवारों ने रहना शुरू कर दिया है। इस सर्वे के बाद से दो सोसाइटियों का निर्माण कार्य रोक दिया है। सोसाइटियां अफोर्डेबल हाउसिंग पॉलिसी के तहत बनाई जा रही हैं, जिसमें करीब 1500 फ्लैट हैं। सोसाइटियां गांव ढोरका, वजीरपुर और गोपालपुर में बनाई गई हैं।
वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा कि सुल्तानपुर बर्ड सेंचुरी काफी महत्वपूर्ण है। इसके प्रतिबंधित क्षेत्र में अवैध निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने आदेश जारी किए कि जिला उपायुक्त की निगरानी में अवैध निर्माण पर कार्रवाई की जाएगी। सचिव ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस सेंचुरी को रामसर साइट का दर्जा दिया है।