हरियाणा सरकार और पीजीआई (Post Graduate Institute of Medical Education and Research) के बीच चल रहा बस विवाद तीसरी बार तूल पकड़ चुका है। हरियाणा सरकार ने एक बार फिर पीजीआई के द्वारा प्रस्तावित बस सेवा को शुरू करने से मना कर दिया है। सरकार का कहना है कि राज्य में पहले से ही निजी कंपनियों की बसें चल रही हैं, और यदि पीजीआई इस मामले में कदम उठाना चाहता है तो उसे इन निजी बसों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जो नियमों का पालन नहीं कर रही हैं। पीजीआई चंडीगढ़ और उसके आसपास के इलाकों में मरीजों और कर्मचारियों के लिए बस सेवा की योजना बना रहा था। इसका उद्देश्य चिकित्सा संस्थान के कर्मचारियों और मरीजों को आवागमन में सुविधा प्रदान करना था। यह कदम शहर में बढ़ते ट्रैफिक और पार्किंग समस्याओं को देखते हुए उठाया गया था। लेकिन हरियाणा सरकार ने इस पर आपत्ति जताई और इसे एक गलत दिशा में कदम बताया। हरियाणा सरकार का कहना है कि पहले से ही निजी बस कंपनियां पीजीआई के क्षेत्र में अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं, और उन कंपनियों की बसों में कई बार सुरक्षा और नियमों का उल्लंघन होता है। सरकार ने इस पर कार्रवाई की बजाय, पीजीआई से पूछा है कि वह क्यों इन निजी बसों के खिलाफ कदम नहीं उठाता, जो यात्री सुरक्षा और रोडवेज नियमों का उल्लंघन कर रही हैं।
इसके अलावा, हरियाणा सरकार ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना किसी भी नए बस सेवा का संचालन संभव नहीं है, खासकर जब यह निजी कंपनियों के संचालन से संबंधित हो। सरकार का यह भी कहना है कि पीजीआई के पास पहले से ही अपनी जरूरतों के लिए पर्याप्त साधन मौजूद हैं, और यह नई बस सेवा राज्य परिवहन सेवा के लिए एक चुनौती पैदा कर सकती है। पीजीआई के अधिकारियों का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल मरीजों और कर्मचारियों के लिए एक सुरक्षित और व्यवस्थित यातायात व्यवस्था तैयार करना है। उनका कहना है कि यह पहल मरीजों को बेहतर सुविधा देने के लिए की जा रही है, खासकर उन लोगों के लिए जो सरकारी परिवहन के दायरे में नहीं आते। पीजीआई का यह भी कहना है कि वे हरियाणा सरकार के साथ मिलकर इस मुद्दे का हल निकालने के लिए तैयार हैं।
इस विवाद ने राज्य सरकार और पीजीआई के बीच खींचतान को बढ़ा दिया है। दोनों पक्षों की ओर से अपने-अपने तर्क और राय व्यक्त की जा रही है, लेकिन फिलहाल इस मुद्दे पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और पीजीआई के बीच इस विवाद का समाधान किस तरह से निकाला जाएगा और क्या भविष्य में इस बस सेवा की शुरुआत हो पाएगी या नहीं।