Gurugram News Network- नगर निगम गुरुग्राम में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच दो साल से अटकी हुई है। विजिलेंस विंग में 100 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले पिछले तीन साल में पहुंचे हैं जिनकी जांच लंबित है। इनमें से 50 से ज्यादा मामलों में नगर निगम अधिकारियों ने विजिलेंस को रिकॉर्ड न होने का जवाब दिया है। रिकॉर्ड लेने के लिए विजिलेंस विंग ने नगर निगम अधिकारियों को नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के जवाब में नगर निगम के अधिकारियों ने रिकॉर्ड न होने की बात कही है।
अधिकारियों की मानें तो 11 मामलों की जांच पूरी की जा चुकी है। 25 मामलों का कोई रिकॉर्ड अधिकारियों को नहीं मिल रहा है। इसके अलावा 106 मामलों की शिकायतें शहरी स्थानीय निकाय विभाग, खूफिया विभाग और एंटी करप्शन ब्यूरो में आई हुई हैं। इन मामलों में भी आज तक 25 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामलों का अधिकारियों को कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। ऐसे में अनुमान लगाया जा सकता है कि निगम में भ्रष्टाचार के मामलों के रिकॉर्ड किस तरह से गायब किए जा रहे हैं। नगर निगम की विजिलेंस टीम की तरफ से 11 मामलों की जांच की जा चुकी है। इसमें शामिल 20 से ज्यादा अधिकारियों के खिलाफ चार्जशीट करने के लिए मुख्यालय को पत्र लिखा जा चुका है, लेकिन छह माह बीत जाने के बाद भ्ज्ञी आज तक किसी भी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है।
नगर निगम के पास 2018 से पहले का रिकॉर्ड का रखरखाव नहीं है। इस कारण इससे पहले शहर में हुए विकास कार्यों का भी कोई रिकॉर्ड नहीं है। इंजीनियरिंग विंग में करवाए जा रहे विकास कार्यों और अन्य टेंडर प्रक्रिया को पूरा करने से पहले एक टेंडर रजिस्टर भी लगाना होता है, लेकिन 15 साल बीत जाने के बाद भी निगम में कोई टेंडर रजिस्टर मौजूद नहीं है। वहीं, नगर निगम कमिश्नर पीसी मीणा का कहना है कि जिन मामलों के रिकॉर्ड नहीं मिल रहे हैं उन संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा जाएगा। मामलों में शामिल अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
आपको बता दें कि वर्ष 2020 में गांव वजीराबाद में स्टेडियम कॉम्पलेक्स और इंडोर स्वीमिंग पूल के निर्माण में लापरवाही बरती गई थी। इसी साल में दूसरे विभाग की सड़क का बिना निर्माण किए ठेकेदार को डेढ़ करोड़ का भुगतान किया गया था। रोड स्वीपिंग मशीनों से सफाई कराने में गड़बड़ी हुई थी। बंधवाड़ी में बिना टेंडर जारी किए ही ठेकेदार को करोड़ा का टेंडर दिया गया था। वर्ष 2013 में बिना टेंडर की करोड़ों रुपए के पीवीसी पाइप खरीदे गए थे। सेक्टर-31 के कम्युनिटी सेंटर में अवैध विज्ञापन लगाने वालों के यूनिपोल काटकर रखे गए थे। गांव सरहोल में दो बूस्टिंग स्टेशनों का निर्माण पांच करोड़ से किया गया था, लेकिन इन्हें शुरू नहीं किया गया। नगर निगम के वार्ड-3, 11, 14 से 16, 33 से 35 में कराए गए विकास कार्यों का रिकॉर्ड नहीं मिला है। इन सभी की जांच विजिलेंस में लंबित पड़ी हुई है।