Gurugram News Network – सेक्टर-67 की अंसल एसेंसिया सोसाइटी निवासी इन दिनों बिल्डरों की मनमानी से परेशान हैं। इस बार यह बिल्डर अंसल नहीं बल्कि आसपास की अन्य सोसाइटियों का निर्माण करने वाले बिल्डर हैं। लोगों का आरोप है कि इन सोसाइटियों में बिल्डर द्वारा सीवर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बनाया गया और न ही गंदे पानी की निकासी की कोई पर्याप्त व्यवस्था की गई है। ऐसे में इन सोसाइटियों के गंदे पानी को अंसल सोसाइटी के खाली प्लॉट तथा सीवर में डाला जा रहा है। हर वक्त गंदे पानी से भरे टैंकरों को बिल्डर के लोग इन सोसाइटियों में डाल रहे हैं। इस बारे में लोगों ने नगर निगम के अधिकारियों से भी शिकायत की, जिसके बाद नगर निगम के अधिकारी मौके पर भी पहुंचे और टैंकरों को गंदा पानी डालते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर अधिकारी एक दूसरे पर बात डाल रहे हैं।
स्थानीय निवासी सतबीर, सुरेश व अन्य ने बताया कि अंसल सोसाइटी में पहले ही बिल्डर ने छोटा एसटीपी बनाया हुआ है। आसपास अंसल की व कुछ अन्य बिल्डरों की सोसाइटियां हैं जिनमें पानी की निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। ऐसे में इन सोसाइटियों का पानी ओवरफ्लो होता रहता है। सीवर भरने के बाद बिल्डर के कुछ लोग तथा मेंटीनेंस एजेंसी की तरफ से टैंकरों के माध्यम से पानी की निकासी तो कराई जाती है, लेकिन इसे नियमानुसार डलवाने की बजाय गंदे पानी के टैंकरों को अंसल एसेंसिया सोसाइटी के खाली प्लॉट में डाल दिया जाता है। इस गंदे पानी के कारण न तो लोग घर पर बैठ सकते हैं और न ही रास्ते पर चल सकते हैं।
पिछले दिनों इसकी शिकायत सोसाइटी के रहने वाले सुभाष ने सीएम विंडो पर की थी। इस शिकायत के बाद नगर निगम के अधिकारी अंसल सोसाइटी में पहुंचे तो पाया कि टैंकरों से गंदे पानी को खाली किया जा रहा है। इस पर निगम अधिकारियों ने टैंकर को पकड़ लिया और इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की बात कहकर टैंकरों को छोड़ दिया गया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया।
वहीं, मामले में जब सीनियर सेनेटरी इंस्पेक्टर हरीश मेहता से बात की गई तो उन्होंने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि यह कार्य उनके अंतर्गत नहीं आता। इस पर इंजीनियरिंग विभाग से कार्रवाई की जाएगी। वहीं, जब एसडीओ राम किशन मोंगिया से बात की गई तो उन्होंने कह दिया कि यह उनके भी अंतर्गत नहीं आता और इस पर कोई दूसरा अधिकारी ही कार्रवाई करेगा। वह अधिकारी कौन है इसकी जानकारी उनको भी नहीं है। हैरत की बात यह है कि एक तरफ नगर निगम की तरफ से गुरुग्राम को स्वच्छता रैंक में टॉप पर पहुंचाने का दावा किया जा रहा है, लेकिन जिस तरह से निगम अधिकारी स्वच्छता को पलीता लगा रहे लोगों पर कार्रवाई के नाम से पीछे हट रहे हैं तो इससे साफ है कि गुरुग्राम को स्वच्छता में नंबर वन बनाने का दावा महज दिखावा है।