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Delhi- एजेंट 25 हजार रुपये में बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में करा रहे घुसपैठ

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली पुलिस को अवैध रूप से देश में घुसे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया था।

दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आगामी चुनावों को लेकर अपनी स्थिति साफ करते हुए कहा है कि वे एक भी फर्जी वोट नहीं पड़ने देंगे। इस बयान के बाद, दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ अभियान को लेकर राजनीतिक बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है।

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली पुलिस को अवैध रूप से देश में घुसे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया था। यह आदेश ऐसे समय में आया है जब दिल्ली में वोटिंग प्रक्रिया में फर्जी वोटिंग की शिकायतें उठ रही हैं। एलजी ने पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिया कि वे अगले दो महीने के भीतर अवैध प्रवासियों की पहचान करें और उन पर कार्रवाई करें। इसके बाद से दिल्ली पुलिस ने राजधानी के विभिन्न इलाकों में अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। पुलिस ने जामियानगर, शाहीनबाग, कालिंदी कुंज और हजरत निजामुद्दीन जैसे इलाकों में छापेमारी की और अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की।

इस अभियान के दौरान, दिल्ली पुलिस ने दो बांग्लादेशी प्रवासियों को गिरफ्तार भी किया है। गिरफ्तार किए गए व्यक्तियों पर आरोप है कि वे बिना वैध दस्तावेजों के भारत में अवैध रूप से रह रहे थे। पुलिस ने इन दोनों को हिरासत में लेकर आगे की जांच शुरू कर दी है। इसके साथ ही पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बीजेपी और विपक्षी पार्टियों के बीच इस मुद्दे को लेकर तीखी राजनीति हो रही है। बीजेपी ने इसे दिल्ली के चुनावी माहौल में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना दिया है, वहीं विपक्षी दल इस अभियान को चुनावी मुद्दा बनाने और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रहे हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह कार्रवाई चुनावों से पहले वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा हो सकती है।

दिल्ली में इस अभियान को लेकर विभिन्न प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ लोग इसे देश की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे एकतरफा कार्रवाई और नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन मान रहे हैं। अब देखना यह है कि आगामी दिनों में इस मुद्दे पर क्या राजनीतिक और कानूनी घटनाक्रम होते हैं।

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