हरियाणा

पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की आवक में 43% की गिरावट।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन राज्यों से अब तक केवल 80 लाख गांठ कपास की आवक हुई है, जबकि पिछले साल इसी समय तक यह आंकड़ा लगभग 140 लाख गांठ था।

कपास उत्पादन में भारत के प्रमुख राज्यों में से एक, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से कपास की आवक में इस साल 43% की गिरावट आई है। यह कमी खासकर मौसम की खराब स्थिति, सूखे और कीटों के हमले के कारण हुई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। भारतीय कपास बाजार में यह गिरावट चिंता का कारण बन गई है, क्योंकि इन राज्यों से देश की कुल कपास आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा आता है।

कपास की आवक में आई यह गिरावट किसानों के लिए आर्थिक संकट का कारण बन सकती है, क्योंकि कपास इन राज्यों में एक प्रमुख नकद फसल मानी जाती है। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में 2024-25 के सीजन के दौरान कपास की आवक में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इन राज्यों से अब तक केवल 80 लाख गांठ कपास की आवक हुई है, जबकि पिछले साल इसी समय तक यह आंकड़ा लगभग 140 लाख गांठ था।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण असमय बारिश, बेमौसमी सूखा और कुछ क्षेत्रों में कीटों का प्रकोप है। इससे फसल की गुणवत्ता भी प्रभावित हुई है, जिसके परिणामस्वरूप किसानों को नुकसान हुआ है। इसके अतिरिक्त, कम पानी और सिंचाई की समस्याएं भी कपास की सही ढंग से फसल उगाने में एक बड़ी चुनौती बन गई हैं।

कपास की आवक में गिरावट का असर सिर्फ किसानों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कपास और उससे बने उत्पादों के दामों में भी बढ़ोतरी हो सकती है। कपास की कमी के कारण स्थानीय बाजारों में इसकी कीमतें पहले ही बढ़ने लगी हैं। कपड़ा उद्योग और इसके अन्य संबंधित क्षेत्रों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।

किसान संगठनों ने सरकार से कपास उत्पादन में आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए उचित कदम उठाने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार को किसानों को उपयुक्त फसली ऋण, सिंचाई के बेहतर विकल्प और मौसम आधारित बीमा योजनाओं के तहत सहायता प्रदान करनी चाहिए, ताकि आने वाले समय में कपास के उत्पादन में सुधार हो सके।

इस गिरावट ने किसानों के लिए एक कठिन स्थिति उत्पन्न की है, और अगर यह स्थिति बनी रही, तो कपास के उत्पादन में कमी और देशभर में कपास के दामों में और वृद्धि हो सकती है।

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