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डॉक्टर नहीं चपरासी चलाते हैं सिविल अस्पताल

Gurugram News Network- तबीयत खराब होने पर यदि आप भी सेक्टर-10 स्थित सिविल अस्पताल जा रहे हैं तो यह खबर आपके लिए महत्वपूर्ण है। सिविल अस्पताल चपरासियों की मनमानी चल रहा है। मरीज गंभीर है अथवा नहीं यह चपरासी तय करते हैं। गंभीर मरीज की स्थिति के बारे में यह चपरासी OPD रूम में बैठे डाॅक्टर को भी बताना जरूरी नहीं समझते हैं।

 

दरअसल, कादीपुर निवासी रेखा, 67 वर्षीय उर्मिला कुमारी को लेकर सोमवार देर रात सेक्टर-10 सिविल अस्पताल आई थी। उर्मिला कुमारी को लकवे की शिकायत हुई थी। रात को इमरजेंसी में उपचार देने के बाद डॉक्टर ने मंगलवार सुबह उन्हें OPD में जांच कराकर इलाज जल्द शुरू कराने के लिए कहा। मंगलवार सुबह रेखा करीब आधे घंटे तक OPD के रजिस्ट्रेशन काउंटर की लाइन में लगकर उर्मिला कुमारी कार्ड बनवा लाई। इसके बाद वह उर्मिला कुमारी को इमरजेंसी से स्ट्रेचर पर लेकर रूम नंबर 112 फ्लू OPD में मौजूद डॉक्टर के पास ले गई।

 

 

रेखा ने बताया कि उर्मिला कुमारी की तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही है और उन्हें फिजिशियन से उपचार लिखवाने समेत MRI व अन्य जांच लिखवाने के लिए भेजा गया है। इस बारे में रेखा ने फ्लू OPD के बाहर मौजूद चपरासी को बताया, लेकिन चपरासी ने यह कहकर उन्हें रोक दिया कि पहले लाइन में खड़े अन्य मरीजों को भेजा जाएगा, बाद में उन्हें भेजा जाएगा। मरीज की लगातार तबीयत बिगड़ने की बात कही तो चपरासी ने यह कह दिया कि उसे पता है कि किस मरीज को इमरजेंसी है और किसको नहीं। यह वह तय कर लेंगे कि किस मरीज को पहले भेजना है और किसे बाद में भेजना है। मरीज उर्मिला कुमारी की स्थिति के बारे में चपरासी ने डॉक्टर को बताने तक की जहमत नहीं उठाई।

 

 

डॉक्टर के मुताबिक, लकवे से ग्रस्त मरीज के लिए पहले छह घंटे गोल्डन ऑवर्स होते हैं, इस समय के दौरान मरीज को उपचार मिलने पर उसके ठीक होने की संभावना 90 फीसदी तक अधिक हो जाती है। छह घंटे से जितना अधिक समय बीतता जाता है उसकी रिकवरी की संभावना कम उतनी ही कम होती जाती है।

 

इस बारे में जब अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष राठी से बात की गई तो उन्होंने तुरंत ही एक अन्य चपरासी को भेजकर उर्मिला देवी का उपचार शुरू करवाया। उन्होंने कहा कि उक्त चपरासी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे OPD से हटाया जा रहा है। इसके साथ ही सभी चपरासियों को हिदायत दी गई है कि वह उन मरीजों के बारे में तुरंत ही डॉक्टर को बताएं जिन्हें इमरजेंसी से रेफर किया गया हो अथवा उनकी हालत अधिक खराब हो।

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