ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने हाल ही में महिलाओं को लेकर एक बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि “महिलाएं नाजुक फूल की तरह हैं।” उनके इस बयान के बाद इसे कई तरह से देखा और समझा जा रहा है।
खामेनेई ने कहा कि महिलाएं समाज की खूबसूरती और कोमलता का प्रतीक हैं। उन्हें ऐसा माहौल मिलना चाहिए, जहां वे सुरक्षित और सम्मानित महसूस कर सकें। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं का सम्मान करना और उनके अधिकारों की रक्षा करना समाज की जिम्मेदारी है।
ईरान में हाल के दिनों में महिलाओं के अधिकारों को लेकर कई विवाद हुए हैं। खासतौर पर हिजाब कानून और महिलाओं के पहनावे पर पाबंदियों को लेकर। सरकार पर यह आरोप लगते रहे हैं कि महिलाओं को उनके अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। खामेनेई का यह बयान शायद महिलाओं के प्रति सरकार के नजरिए को सुधारने की कोशिश हो सकता है।
ईरान में हिजाब पहनना महिलाओं के लिए अनिवार्य है। इस कानून को लेकर कई महिलाएं नाराज हैं और विरोध कर चुकी हैं। खामेनेई ने इस कानून का समर्थन करते हुए कहा कि यह महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के लिए है। हालांकि, उनका बयान यह भी दर्शाता है कि सरकार महिलाओं को लेकर संवेदनशीलता दिखाने की कोशिश कर रही है।
ईरान में कई महिलाओं का कहना है कि उन्हें स्वतंत्रता नहीं मिलती। शिक्षा, नौकरी और जीवन के दूसरे फैसलों में उन्हें सीमित किया जाता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी ईरान की सरकार से महिलाओं को उनके अधिकार देने की अपील की है।
खामेनेई के बयान को कुछ लोगों ने सकारात्मक माना, तो कुछ ने इसे दिखावा कहा। कई लोगों का मानना है कि महिलाओं को सिर्फ ‘नाजुक फूल’ कहना उनके अधिकारों का हल निकालने के लिए काफी नहीं है। असल बदलाव तभी होगा, जब उनके अधिकारों को कानूनन मान्यता मिलेगी।
खामेनेई का यह बयान महिलाओं के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, लेकिन इसे सच्चाई में बदलने के लिए सरकार को और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। महिलाओं की आजादी और अधिकारों का सम्मान तभी होगा, जब समाज में उनके प्रति नजरिया बदलेगा।