हरियाणा के एक गांव की पंचायत ने समाज में शांति और अनुशासन बनाए रखने के लिए एक अनोखा फरमान जारी किया है। इस पंचायत ने तेरहवीं और शादी समारोहों में डीजे बजाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही तेरहवीं की रस्मों के दौरान साज-सज्जा और खर्चीली शोशेबाजी को भी हतोत्साहित किया गया है। पंचायत का यह कदम गांव के पारंपरिक मूल्यों को बनाए रखने और धार्मिक मामलों में शुद्धता सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया है।
पंचायत के अनुसार, तेरहवीं के समय किसी भी प्रकार के तामझाम या ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, शादी के समारोहों में भी डीजे और अन्य शोर-शराबे पर रोक लगाई गई है। पंचायत का कहना है कि इस तरह के आयोजनों से ना केवल आस-पास के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बल्कि यह सामाजिक असंवेदनशीलता को भी बढ़ावा देता है।
पंचायत के सदस्य बताते हैं कि इस फैसले का उद्देश्य गांव में शांति और सामूहिक एकता को बढ़ावा देना है। पंचायत का मानना है कि शादी और तेरहवीं जैसे आयोजनों में अत्यधिक खर्च और फिजूलखर्ची की प्रवृत्तियाँ समाज के लिए हानिकारक हो सकती हैं। इसके बजाय, यह पहल गांव के लोगों को साधारण और संयमित तरीके से सामाजिक आयोजनों में भाग लेने के लिए प्रेरित करती है।
पंचायत के इस आदेश को गांव के लोग कुछ हद तक सराहते हुए दिखे हैं, लेकिन कुछ लोग इसके खिलाफ भी हैं। उनका कहना है कि इस प्रकार के आदेशों से लोगों की खुशी में बाधा आ सकती है और वे पारंपरिक ध्वनि और संगीत का आनंद नहीं ले पाएंगे। वहीं, कुछ लोग इसे समाज में बदलाव की दिशा में एक सकारात्मक कदम मानते हैं।
इस फैसले के बाद से यह सवाल उठ रहा है कि क्या अन्य गांवों की पंचायतें भी इस तरह के नियम लागू करेंगी। यह देखने वाली बात होगी कि इस फैसले का प्रभाव गांवों और शहरों में सामाजिक समारोहों की प्रकृति पर कितना पड़ता है।