खुलासा: गुरुग्राम और एनसीआर नहर से 120 मिलियन लीटर पानी की चोरी
गुरुग्राम में भूजलस्तर डार्क जोन में है। 30 लाख की आबादी पानी के लिए गुरुग्राम और एनसीआर नहर पर आश्रित है। दोनों नहर सोनीपत के ककरोई से आती हैं। गुरुग्राम नहर के पानी को बसई जलशोधन संयंत्र,जबकि एनसीआर नहर के पानी को चंदू बुढेड़ा जलशोधन संयंत्र में शोधित किया जाता है। इसके बाद पानी की सप्लाई होती है।
Gurugram News Network – गुरुग्राम और एनसीआर नहर से रोजाना करीब 120 मिलियन लीटर पानी की चोरी हो रही है। इसका खुलासा गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) की जांच रिपोर्ट में हुआ है। जीएमडीए ने ड्रोन सर्वे के माध्यम से झज्जर के गांव मांडौठी के आसपास 18 जगहों पर पानी चोरी को पकड़ा है। कुछ ग्रामीणों की तरफ से अपने खेतों तक पाइप को भूमिगत दबाकर ले जाया गया तो कुछ ने नहर में ऊपर से पाइप डाले हुए थे। पिछले सप्ताह इस ड्रोन सर्वे को लेकर जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ए.श्रीनिवास की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इसमें सिंचाई विभाग के अधिकारियों को पानी की चोरी को सख्ती से रोकने के दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
गुरुग्राम में भूजलस्तर डार्क जोन में है। 30 लाख की आबादी पानी के लिए गुरुग्राम और एनसीआर नहर पर आश्रित है। दोनों नहर सोनीपत के ककरोई से आती हैं। गुरुग्राम नहर के पानी को बसई जलशोधन संयंत्र,जबकि एनसीआर नहर के पानी को चंदू बुढेड़ा जलशोधन संयंत्र में शोधित किया जाता है। इसके बाद पानी की सप्लाई होती है। अप्रैल से लेकर सितंबर माह तक इस नहर में पानी की मात्रा कम हो जाती है, जिसका खामियाजा शहरवासियों को पेयजल संकट के रूप में उठाना पड़ता है।
30 जुलाई को मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी,जीएमडीए और सिंचाई विभाग के अधिकारी मौजूद थे। मुख्य सचिव के समक्ष गुरुग्राम और एनसीआर नहर में पानी कम आने का मामला उठा था। दोनों विभागों के अधिकारियों की बातों को सुनने के बाद मुख्य सचिव ने दोनों नहर का ड्रोन सर्वे करवाने के आदेश जारी किए थे। इसके साथ-साथ यह भी आदेश जारी किए थे कि झज्जर जिला प्रशासन दोनों नहर से हो रही पानी चोरी को सख्ती से रोके।
इन दोनों नहर की करीब 3.6 किलोमीटर लंबाई के साथ-साथ कई गांव पड़ते हैं। इनमें धान की खेती होती है। धान के खेती के लिए पानी की बहुत अधिक जरूरत होती है। बारिश नहीं होने की स्थिति में किसानों की तरफ से इन दोनों नहरों से पानी को चोरी किया जाता है। एनसीआर नहर की क्षमता 550 क्यूसिक और गुरुग्राम नहर की क्षमता 350 क्यूसिक है। फिलहाल इनकी स्थिति बेहद खराब है।
नहर के क्षतिग्रस्त होने के डर से सिंचाई विभाग की तरफ से वैसे ही इसमें कम पानी छोड़ा जाता है। गुरुग्राम नहर के माध्यम से बसई जल शोधन संयंत्र तक रोजाना 90 क्यूसिक और एनसीआर नहर के माध्यम से चंदू बुढेड़ा जल शोधन संयंत्र में करीब 120 क्यूसिक पानी रोजाना पहुंच रहा है। सर्वे के मुताबिक इसके अलावा करीब 63 क्यूसिक पानी की चोरी हो रही है। गर्मियों में पानी चोरी होने की स्थिति में पेयजल संकट का सामना गुरुग्राम शहरवासियों को करना पड़ता है। सिंचाई विभाग ने गुरुग्राम नहर को नए सिरे से तैयार करने के लिए 1989.39 करोड़ रुपये का इस्टीमेट बनाया है।