गुरुग्राम में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन मुद्दों को हल करने के लिए स्वीप कार्यक्रम की शुरूआत
गुरुग्राम और जीएमडीए क्षेत्रों के सभी 35 वार्डों में अपशिष्ट संग्रह, पृथक्करण, परिवहन, प्रसंस्करण और निपटान के लिए तीन स्तरीय प्रणाली को लागू करने का काम सौंपा गया है। अतिरिक्त उपायों में सक्रिय निगरानी के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन के साथ 24X7 नियंत्रण कक्ष की स्थापना, मौजूदा बुनियादी ढांचे का अंतर-विश्लेषण करना, अपशिष्ट ट्रैकिंग के लिए जीआईएस-आधारित मानचित्र बनाना और एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र विकसित करना शामिल है।
Gurugram News Network-हरियाणा के मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने गुरुग्राम में अनुपचारित अपशिष्ट के चिंताजनक स्तर, जिससे पर्यावरण के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा-22 के तहत गुरुग्राम में पालिका ठोस अपशिष्ट की नितांत आवश्यकता घोषित की है।महत्वपूर्ण अपशिष्ट प्रबंधन मुद्दों को हल करने के लिए स्वीप (ठोस अपशिष्ट पर्यावरण आवश्यकता कार्यक्रम) भी शुरू किया।
टीवीएसएन प्रसाद ने बताया कि मंडलायुक्त, उपायुक्त, म्यूनिसिपल कमिश्नर, गुरुग्राम मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर, हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंतत्रण बोर्ड के वरिष्ठ पर्यावरण इंजीनियर और पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) को मिलाकर बनाई गई एक उच्च स्तरीय समिति की अगुवाई में स्वीप’ कार्यक्रम का उद्देश्य गुरुग्राम में अपशिष्ट प्रबंधन को दुरुस्त करने के निर्देश किए गए।
गुरुग्राम और जीएमडीए क्षेत्रों के सभी 35 वार्डों में अपशिष्ट संग्रह, पृथक्करण, परिवहन, प्रसंस्करण और निपटान के लिए तीन स्तरीय प्रणाली को लागू करने का काम सौंपा गया है। अतिरिक्त उपायों में सक्रिय निगरानी के लिए एक समर्पित हेल्पलाइन के साथ 24X7 नियंत्रण कक्ष की स्थापना, मौजूदा बुनियादी ढांचे का अंतर-विश्लेषण करना, अपशिष्ट ट्रैकिंग के लिए जीआईएस-आधारित मानचित्र बनाना और एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र विकसित करना शामिल है।
निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट के प्रबंधन, अपशिष्ट प्रसंस्करण के लिए पर्याप्त मशीनरी सुनिश्चित करने, स्वच्छता पुरस्कार स्थापित करने और जागरूकता बढ़ाने के लिए सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) योजना शुरू करने पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
दैनिक रिपोर्ट एसडीएमए को प्रस्तुत की जाएगी और आदेशों के किसी भी उल्लंघन के लिए संबंधित कानूनों के अनुसार दंडात्मक उपाय किए जाएंगे। स्वीप पहल को अंततः हरियाणा के अन्य पालिका क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
मुख्य सचिव ने बताया कि इस आदेश के किसी भी तरह से उल्लंघन पर आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, नगर निगम अधिनियम, 1994 और अन्य लागू कानूनों के तहत दंडात्मक प्रावधान लागू होंगे। उल्लंघन के परिणामस्वरूप संबंधित अधिनियमों और विनियमों के अनुसार जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है।
13 मई, 2024 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) की टिप्पणियों के मद्देनजर उठाया गया है, जिसमें भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार के रूप में स्वच्छ पर्यावरण की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।
सर्वोच्च न्यायालय का मानना है कि अनुपचारित ठोस अपशिष्ट पर्यावरण को गंभीर रूप से प्रभावित करता है और नागरिकों के प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने के अधिकार का भी उल्लंघन करता है। एनजीटी ने पहले स्थिति को पर्यावरणीय आपातकाल के रूप में वर्णित करते हुए इससे और अधिक गंभीर तरीके से निपटने की आवश्यकता पर बल दिया था।