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सार्वजनिक स्थानों पर धरना देने वालों के खिलाफ सुप्रीम फैसला

Gurugram News Network – शाहीन बाग में CAA विरोधी आंदोलन के दौरान सड़क रोक कर बैठी भीड़ को हटाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर धरना प्रदर्शन करना सही नहीं है. इससे लोगों के अधिकारों का हनन होता है
दिल्ली में CAA के विरोध में शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट  ने बड़ा फैसला दिया है । 100 दिनों से ज्यादा दिनों तक चले इस धरना प्रदर्शन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन करने पर एतिहासिक फैसला देते हुए कहा है कि अगर कोई व्यक्ति या प्रदर्शनकारी सावर्जनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल धरना प्रदर्शन नहीं कर सकते और अगर कोई ऐसा करता है तो प्रशासन को उनको हटाने के लिए एक्शन लेना चाहिए कोर्ट के ऑर्डर का इंतजार नहीं करना चाहिए । शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कोई भी व्यक्ति या समूह सार्वजिनक स्थानों को ब्लॉक नहीं कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पब्लिक प्लेस पर अनिश्चितकाल के लिए कब्जा नही किया जा सकता। अदालत ने कहा कि धरना-प्रदर्शन का अधिकार अपनी जगह है लेकिन अंग्रेजों के राज वाली हरकत अभी करना सही नहीं है।
इस मामले पर न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय न्यायिक पीठ ने फैसला सुनाया और कहा कि लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं, मगर प्रदर्शन डेजिनेटेड इलाकों (जहां प्रदर्शन के लिए जगह तय या निर्धारित हों ) में ही होना चाहिए। इस पीठ में जस्टिस अनिरुद्ध बोस औप कृष्ण मुरारी भी थे।

 

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उस याचिका पर आया है, जब अधिवक्ता अमित साहनी ने फरवरी में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शनकारियों द्वार बंद कालिंदी कुंज-शाहीन बाग मार्ग को खोलने की की मांग की थी। बता दें कि प्रदर्शनकारियों ने करीब सौ दिनों तक कालिंदी कुंज-शाहीन बाग मार्ग को बंद रखा था, जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतें हुईं थीं।

दरअसल, कालिंदी कुंज का इलाका दिल्ली, फरीदाबाद (हरियाणा) और नोएडा (उत्तर प्रदेश) को जोड़ने की वजह से बहुत महत्व रखता है। यहां से निकलने वाले मार्गों का इस्तेमाल करने वाले लोगों को डीएनडी एवं अन्य वैकल्पिक रास्तों का इस्तेमाल करना पड़ रहा था, जिससे भारी यातायात जाम की स्थिति बन रही थी और साथ ही समय तथा ईंधन की बर्बादी भी हो रही थी।

सार्वजनिक स्थानों पर नहीं कर सकते अनिश्चित काल कब्जा 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा CAA के विरोध (Anti CAA Protest in Shaheen Bagh News) में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे, रास्ते को प्रदर्शनकारियों ने ब्लॉक किया । आपको बता दें कि CAA के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में 100 दिन से ज्यादा कालिंदी कुंज रोड़ को ब्लॉक करके धरना प्रदर्शन किया गया था ।  सुप्रीम कोर्ट ने कहा मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट से अलग-अलग फैसला दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों और सड़कों पर अनिश्चित काल तक कब्जा नहीं किया जा सकता है।
अपने अधिकारी के लिए दूसरों को नहीं कर सकते परेशान
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध जताने के लिए पब्लिक प्लेस या रास्ते को ब्लॉक नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि अधिकारियों को इस तरह के प्रदर्शन को हटाना चाहिए। विरोध प्रदर्शन तय जगहों पर ही होना चाहिए। अदालत ने कहा कि प्रदर्शनकारियों के सार्वजनिक जगहों पर प्रदर्शन लोगों के अधिकारों का हनन है । अधिकारियों को ऐसे प्रदर्शन को खत्म करने के लिए कोर्ट की इजाजत की जरुरत नहीं होगी ।  कानून में इसकी इजाजत नहीं है।विरोध के साथ कर्तव्य भी- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आवागमन का अधिकार अनिश्चित काल तक रोका नहीं जा सकता। शाहीन बाग में मध्यस्थता के प्रयास सफल नहीं हुए, लेकिन हमें कोई पछतावा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है लेकिन उन्हें तय क्षेत्रों में होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा संविधान विरोध करने का अधिकार देता है लेकिन इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए ।
100 दिनों से ज्यादा दिन तक चला था शाहीन बाग़ का धरना

आपको बता दें कि नागरिकता कानून के विरोध में शाहीन बाग में 100 दिनों से ज्यादा दिन तक लोग धरने पर बैठे थे। लेकिन कोरोना वायरस के कारण दिल्ली में धारा 144 लागू होने के बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को वहां से हटा दिया था। शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों को वहां से हटाने के लिए शीर्ष अदालत में भी अपील की गई थी। बता दें कि धरना के कारण कई सड़कों को बंद कर दिया गया था और लोगों को आवाजाही में दिक्कतें होती थीं । अब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सावर्जनिक स्थानों को ब्लॉक नहीं किया जा सकता और अधिकारी इनको तुरंत खाली करा सकते हैं जिसके लिए कोर्ट के आदेश की जरुरत नहीं होगी ।

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