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Haryana News: हरियाणा सरकार में गांव होंगे आत्मनिर्भर! ग्राम पंचायतों के पास होंगे ये अधिकार

 

Haryana News नरेन्द्र मोदी सरकार इस वास्तविकता को समझ रही है कि गांवों के विकास के बिना देश आत्मनिर्भर नहीं बन सकता। यही कारण है कि पंचायतों को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्यों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन अधिकतर राज्य उदासीन बने हुए हैं। 

अब इसे सुविधाओं पर टैक्स और यूजर चार्ज लगाने पर मतदाताओं की नाराजगी का राजनीतिक भय मान लें या राज्य सरकारों की बेपरवाही, सच यही है कि अधिकार और संसाधन नहीं दिए जाने के कारण ग्राम पंचायतें केंद्र और राज्य सरकार के अनुदानों पर टिकी हैं। 

राज्यों की इच्छाशक्ति और पंचायतों का सच पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनेंस एंड पालिसी से तैयार कराई गई रिपोर्ट से सामने आ चुका है। इसके निष्कर्षों के आधार पर ओन सोर्स रेवेन्यू (स्वयं के संसाधनों से राजस्व) का मॉडल बनाने को तैयारी है।

ग्राम पंचायतों के पास हैं ये अधिकार

इस रिपोर्ट में बताया है कि संविधान में प्रदत्त अधिकारों के आधार पर पंचायतें 9 प्रकार के टैक्स और 11 तरह के यूजर चार्ज वसूल सकती हैं। मगर धरातल पर वास्तविकता क्या है, इसका अध्ययन करने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनेंस एंड पालिसी की टीम ने विभिन्न राज्यों का दौरा किया। 

उसने पाया कि ग्राम पंचायतों को कर वसूली के दिए अधिकारों की बात करें, तो 17 राज्यों में संख्या अलग-अलग है। उदाहरण स्वरूप बिहार, पंजाब और बंगाल में 2-2 से लेकर गुजरात, कर्नाटक व केरल में 8 तक शामिल हैं। 

कुछ राज्यों का अध्ययन करने पर सामने आया कि ग्राम पंचायतों को टैक्स लगाने का जो अधिकार मिला भी है, वे उनकी तुलना में भी बहुत कम टैक्स लगाती हैं और कम ही वसूल भी करती हैं। कर मूल्यांकन की विधि भी सबकी अलग-अलग है। 

इन राज्यों में इतनी मजबूत ग्राम पंचायतें

रिपोर्ट में कुछ और भी उदाहरण दिए हैं, जैसे मध्य प्रदेश और ओडिशा केवल एक कर लगाते हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में पंचायतों को 6 टैक्स लगाने का अधिकार मिला हुआ है, लेकिन लगाया एक भी नहीं जाता। 

आंध्र प्रदेश और कर्नाटक 3 कर लगाता है। इसी तरह अनेक राज्य जिला और ब्लाक पंचायतों को कुछ यूजर चार्ज लगाने का अधिकार देते हैं, लेकिन वे है बहुत कम। वहीं, जिला पंचायतों और ब्लाक पंचायतों को भी यूजर चार्ज वसूलने का अधिकार है, लेकिन वहां भी पालन नहीं हो पा रहा है। 

जैसे उत्तर प्रदेश में ब्लाक स्तर पर सर्वाधिक यूजर चार्ज एकत्र करने का अधिकार दिया गया है, लेकिन कोई चार्ज नहीं लगाया गया। पंचायतीराज अधिनियम ग्राम पंचायतों को अनेक यूजर चार्ज लगाने का अधिकार देता है। 

कुछ राज्यों में ग्राम पंचायत स्तर पर 10 यूजर चार्ज लगाने का अधिकार दिया गया है, लेकिन शुल्क लगाना, आकलन करना और संग्रह करना राज्य सरकार द्वारा जारी आदेशों पर निर्भर हैं। 

इन शुल्कों के आकलन, आरोपण और संग्रह करने के लिए तकनीकी क्षमता व मानव संसाधन की कमी के अलावा राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण भी इनसे पंचायतों की आय नहीं हो पा रही है। 

इन राज्यों ने जारी किए हैं पर्याप्त दिशा- निर्देश

कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जरूर ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने ग्राम पंचायतों को टैक्स और यूजर चार्ज का आकलन और आरोपण करने में मदद करने के लिए पर्याप्त दिशा- निर्देश जारी किए हैं। 

गृह कर के अतिरिक्त ग्राम पंचायतों को अन्य कर और यूजर चार्ज जैसे तीर्थयात्रा कर, जल कर, जल निकासी कर, लाइसेंस शुल्क, ग्राम पंचायत के स्वामित्व वाली इमारतों से किराया, मोबाइल टावरों से किराया आदि लगाने का अधिकार है।

इनका उपयोग सिर्फ गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र की ही कुछ पंचायतें कर रही हैं। विशेषज्ञों ने माना है कि ग्राम पंचायतों का कामकाज मानव संसाधन और क्षमता निर्माण की चुनौतियों के कारण बाधित हो रहा है। टैक्स या यूजर चार्ज का आकलन करने और संग्रह करने के लिए कुशल मानव संसाधन नहीं होने के कारण पंचायतों की वित्तीय निर्भरता प्रभावित हो रही है।