Chandigarh Liquor Rates: शराब के शौकिनों के लिए बल्ले बल्ले! आधी दाम पर मिल रहे महंगे शराब, इस जगह ठेकों पर उमड़ी भीड़
Chandigarh Liquor Rates: शराब के शौकिनों के लिए अच्छी खबर है। चंडीगढ़ में शराब के दामों में भारी कटौती हुई है। आधे दामों पर शराब मिल रही है। जो 31 मार्च तक सभी ब्रांड्स पर दी जा रही है। नई एक्साइज पॉलिसी 1 अप्रैल से लागू होगी। ठेकों पर भारी भीड़ नजर आ रही है।
दरअसल, एक अप्रैल से चंडीगढ़ में नई एक्साइज पॉलिसी लागू होगी. ऐसे में शराब के ठेकेदार इस साल के स्टॉक को क्लीयर कर रहे हैं और दाम आधे कर दिए गए हैं.
इंद्री, ब्लैक डॉग, ब्लैंडर प्राइड, टीचर्स, सोलन गोल्ड, 100 पाइपर सहित तमाम ब्रैंड पर भारी छूट दी जा रही है. रेड लेबर 750 रुपये में बिक रही है. कीमतों के अनुसार, ऑल सीजन, रॉयल चैलेंजर, रॉयल स्टैग, सोलन ब्लैक, बकार्डी ब्लैक 300 रुपये में बोतल मिल रही है. इसी तरह सोलन नंबर वन, ओल्ड मॉन्क 250 रुपये प्रति बोतल बिक रही है. इसके अलावा, ऑफिसर च्वाइस 160 रुपये बोतल है.
महंगे ब्रैंड्स के दामों में भी कटौती
इसी तरह, मंहगे दामों के ब्रैंड्स में भी भारी कटौती की गई है. ब्लैंडर प्राइड रिजर्व, एंट्रीक्विटी ब्लू, रॉक फोर्ड रिसर्व और अम्रूत की बोतल की कीमत 600 रुपये रखी गई है. वहीं, सिगनेचर, वोडक फ्लेवर और सिरमन ऑफ 450 रुपये बोतल बिक रही है. वहीं, इंद्री और गोदावन रिच की बोतल जो पहले 3 हजार से 3500 रुपये में मिलती थी, उसकी कीमत 2200 रुपये है. ब्लैक डॉग डिलिस्क और 100 पाइपर का दाम 1300 रुपये, ब्लैक डॉग (सीईएन), 100 पाइपर (8 ईयर) का दाम 1000 रुपये है.
क्यों सस्ती हुई शराब
दरअसल, चंडीगढ़ में पजांब, हिमाचल और हरियाणा से सस्ती शराब मिलती है. यहां पर नई ऑबकारी नीति लागू होने जा रही है. एक अप्रैल से नई लीकर पॉलिसी लागू होगी और ऐसे में शराब कारोबारी अपना बचा हुआ स्टॉक क्लीयर कर रहे हैं और इस कारण हर ब्रांड में छूट दी जा रही है. एक अप्रैल से शराब महंगी होती या सस्ती, यह तो नई लीकर पॉलिसी में ही पता चल पाएगा. हालांकि, छूट के बाद अब शराब के ठेकों पर भारी भीड़ भी उमड़ रही है.
गौरतलब है कि बीते शुक्रवार को ठेकों की ई-नीलामी हुई. चंडीगढ़ वाइन कॉन्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन का आरोप है कि 97 में 93 टेंडर लेने वाले एक ही ग्रुप के लोग हैं. हालांकि, चंडीगढ़ के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया आबकारी नीति को मंजूरी दे दी है औ 1 अप्रैल से 31 मार्च तक यह नीति लागू रहेगी और 606 करोड़ की कमाई सरकार को होगी.