Exclusive – मैक्स अस्पताल में ब्लैक फंगस से पहली मौत, 24 घंटे का 7.21 लाख का बिल थमाया
Gurugram News Network – साइबर सिटी गुरुग्राम में ब्लैक फंगस इंफेक्शन (म्यूकरमाइकोसिस) से पहली मौत का मामला सामने आया है । पटौदी के समीप लुहारी गांव के रहने वाले 28 वर्षीय विकास शर्मा की रविवार को मैक्स अस्पताल में मौत हो गई । हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने डेथ समरी में विकास शर्मा को ब्लैक फंगस इंफेक्शन डायग्नोज़ होने के साथ ही कार्डिएक अरेस्ट से मौत होना बताया है । परिजनों ने आरोप लगाया है कि मैक्स अस्पताल ने इलाज के नाम पर 24 घंटे का बिल 7 लाख 21 हजार रुपए का बिल बना दिया विरोध करने पर अस्पताल ने 24 घंटे के साढे तीन लाख रुपए वसूल लिए ।
विकास शर्मा के ससुर विनोद वशिष्ठ ने बताया कि विकास 25 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव हो गए जिनको इलाज के लिए परिजन रेवाड़ी के मेट्रो अस्पताल में ले गए । तीन दिन रेवाड़ी अस्पताल में भर्ती रहने के बाद विकास को घर ले आया गया और घर पर ही दवाई लेते रहने के बाद वो ठीक हो गए ।
विनोद वशिष्ठ ने बताया कि विकास को 13 मई को अचानक कमजोरी महसूस होने लगी जिसके बाद 14 मई को विकास शर्मा को अकलीमपुर उनके ससुराल लाया गया, लेकिन शुक्रवार को अचानक विकास की आवाज चली गई । उनको दिखाई देना बंद हो गया और उनके चेहरे पर काले निशान पड़ गए, जिसके बाद परिजनों ने विकास को बादशाहपुर के कमाल अस्पताल में ले जाया गया । यहां उनके टेस्ट कराए गए, लेकिन सभी टेस्ट रिपोर्ट्स नॉर्मल आई । शनिवार सुबह करीब 4 बजे अचानक विकास की तबीयत बिगड गई और उनसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी । कमाल अस्पताल ने विकास शर्मा की स्थिति को देखते हुए उसे आर्टेमिस अस्पताल के लिए रेफर कर दिया ।
आर्टेमिस अस्पताल में बेड न मिलने पर परिजनो ने उसे गुरुग्राम के मैक्स अस्पताल में भर्ती करा दिया । विकास को अस्पताल में भर्ती करने से पहले प्रबंधन ने इलाज के खर्च की बात करने के लिए परिजनों को अस्पताल बुलवा लिया । विकास शर्मा के ससुर विनोद वशिष्ठ ने बताया कि जब वो अपने मरीज़ को लेकर अस्पताल पहुंचे तो उन्हें एक बड़े से रुम में ले जाया गया जहां पर डॉक्टर्स ने उनसे इलाज के लिए लगने वाले पैसों के बारे में बातें करना शुरु कर दी और बताया गया कि आपके मरीज़ का इलाज कर देंगे लेकिन 15 लाख रुपए लगेंगे । इस पर विनोद वशिष्ठ ने कहा कि इतने पैसे तो नहीं है कुछ कम कर लीजिए तो अस्पताल प्रशासन 10 लाख 40 हजार 576 रुपए में इलाज के लिए तैयार हो गया जिसका एस्टीमेट बनाकर भी परिजनों को दिया गया ।
अस्पताल प्रशासन के कहने पर परिजनों ने एडवांस के तौर पर ढाई लाख रुपए कैश में दिए गए जबकि एक लाख रुपए क्रेडिट कार्ड से जमा करा दिए गए । विनोद ने बताया कि शाम को लगभग साढे 6 बजे डॉक्टर्स ने कहा कि आप 5 लाख रुपए और जमा करा दीजिए विकास का ऑपरेशन करना पडेगा । इस पर परिजनो ने कहा कि आप पैसों की चिंता मत कीजिए आप बस इलाज कीजिए ।
विनोद ने बताया कि रात को करीब साढे 11 बजे जब वो अपने दामाद को देखने के लिए आईसीयू मे गए तो विकास शर्मा के शरीर में कोई हरकत नहीं दिखी । उन्हें उसी समय संदेह हुआ कि विकास की मौत हो चुकी है, लेकिन अस्पताल में मौजूद स्टाफ ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया । रविवार सुबह जब डॉक्टर आए तो उन्होने विकास को सीपीआर देना शुरु किया, लेकिन विकास को बचाया न सका । उसके बाद डॉक्टरों ने सुबह करीब 7 बजे विकास को मृत घोषित कर दिया ।
विकास की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को 24 घंटे का 7 लाख 21 हजार रुपए का बिल बनाकर थमा दिया और कहा कि विकास की गले की और नाक की सर्जरी की गई जिसके बाद इतना बिल बन गया । मात्र 24 घंटे के इलाज के इतनी भारी भरकम बिल बनाए जाने के बाद परिजनों ने विरोध करना शुरु कर दिया । कई घंटो तक विरोध करने के बाद अस्पताल शव को इस बात पर परिजनो को देने के लिए राजी हो गया कि जो पैसा एडवांस जमा किया गया है वो वापिस नहीं मिलेगा जिस पर परिजन भी राजी हो गए और विकास के शव को लेकर अपने घर आ गए ।
विकास के ससुर विनोद वशिष्ठ ने आरोप लगाया है कि जब अस्पताल ने 10 दिन का पैकेज 10 लाख 40 हजार रुपए बताया था तो 24 घंटे के 7.21 लाख रुपए बिल कैसे हो सकता है । ये तो सरासर अस्पतालों की खुली लूट चल रही है । विकास के परिजनों ने बताया कि वो जल्द अस्पताल द्वारा बनाए गए इतने भारी भरकम बिल बनाए जाने की शिकायत जिला प्रशासन से करेंगे ।
जब मामले में जिला स्वास्थ्य विभाग के जिला सर्विलांस अधिकार डॉक्टर जय प्रकाश से ब्लैक फंगस इंफेक्शन से मौत के बारे में जानकारी लेनी चाही तो उन्होनें कहा कि अगर किसी अस्पताल में ब्लैक फंगस से किसी मरीज़ की मौत होती है तो वह सीधा राज्य सरकार को रिपोर्ट करेंगे । जिला स्वास्थ्य विभाग का इसमें कोई रोल नहीं है ।
- वहीं इस पूरे मामले पर मैक्स अस्पताल प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि ‘परिजनों को पहले ही बता दिया गया था कि मरीज़ की हालत बेहद गम्भीर थी, हम परिवार के इस तरह की आरोपो का खंडन करते हैं कि उनसे इलाज के ज़्यादा पैसे लिए गए । 7.21 लाख रुपये का बिल सिस्टम द्वारा जनरेटेड था इस तरह के बिल बाद में संशोधित किये जाते हैं । अंतिम बिल 3.95 लाख का बनाया गया’ ।