गुरुग्राम की 60 रिहायशी बिल्डिंगों का होगा स्ट्रक्चरल ऑडिट
Gurugram News Network – फरवरी 2022 में गुरुग्राम के सेक्टर 109 में चिंटल पैराडिसो सोसाइटी में हुए हादसे के बाद गुरुग्राम में तमाम हाइराइज इमारतों में रहने वाले लोगों ने जिला प्रशासन से स्ट्रक्चरल ऑडिट के लिए गुहार लगाई जिसके बाद अब गुरुग्राम जिला प्रशासन शहर की 60 से ज्यादा हाइराइज इमारतों में स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने की तैयारी कर रहा है । गुरुग्राम के उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने बताया कि जिला की 60 हाइराइज सोसायटियों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के लिए जिला प्रशासन द्वारा कंसल्टेंट का पैनल तैयार किया जा रहा है। ऑडिट पैनल में सलाहकारों को शामिल करने के लिए विभिन्न एजेंसियों व फर्म से निर्धारित शर्तो व नियमों के आधार पर आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि निर्धारित प्रक्रिया के तहत आवेदन प्राप्त होने के पश्चात जिला प्रशासन एक सप्ताह के भीतर सलाहकारों को सूचीबद्ध कर देगा ।
डीसी निशांत कुमार यादव ने बताया कि जिला गुरूग्राम में पिछले दो वर्ष में इमारत के निर्माण में अनियमितता संबंधी 60 कॉलोनियों व ग्रुप हाउसिंग सोसायटियों से शिकायत प्राप्त हुई हैं। उन्होने बताया कि इन शिकायतों के स्थाई समाधान तथा प्राप्त शिकायतों के स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के उद्देश्य से जिला प्रशासन द्वारा ऑडिट कंसल्टेंटस का पैनल तैयार किया जा रहा है। उपायुक्त ने कहा कि उंची इमारतों में रहने वाले लोग उनके स्ट्रक्चर को लेकर सुरक्षित महसूस करें और वहां शान्ति से रह सकें इन्हीं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यह पूरी प्रक्रिया अमल में लाई जा रही है ।
उपायुक्त ने ऑडिट सलाहकार पैनल में शामिल किए जानी वाली एजेंसियो व फर्मो के लिए निर्धारित मापदंडों की जानकारी देते हुए बताया कि कंसल्टेंट/फर्म को स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग और ऑडिटिंग और स्ट्रक्चरल एनालिसिस में कम से कम 10 साल का अनुभव होना जरूरी है। सलाहकार फर्म के पास बहुमंजिला इमारतों के स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग और ऑडिटिंग में न्यूनतम 5 वर्ष का अनुभव होने के साथ साथ कम से कम 3 पूर्णकालिक योग्य स्ट्रक्चरल इंजीनियर (एम.टेक/एम.ई/एम.एससी/एम.एस इन स्ट्रक्चर इंजीनियरिंग) होना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि एजेंसी अथवा फर्म के पास आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए स्ट्रक्चरल डिजाइनिंग और ऑडिटिंग का कार्य करने का पूर्व अनुभव और क्षमता होनी जरूरी है ।
वहीं फर्म को पूर्व में ब्लैक लिस्ट ना किया गया हो । इसके साथ साथ फर्म का 2017 से 2020 की तीन साल की अवधि में सालाना टर्नओवर दो करोड़ रुपए से कम नही होना चाहिए । डीसी निशांत कुमार यादव ने फर्म के न्यूनतम अनुभव आवश्यकताओं की जानकारी देते हुए बताया कि सलाहकार अथवा फर्म ने पिछले 5 वर्षों में कम से कम 10 परियोजनाओं (न्यूनतम 5 लाख वर्ग फुट के क्षेत्र के साथ प्रत्येक परियोजना) की डिजाइनिंग और ऑडिटिंग का कार्य किया हो, जिसमें कम से कम एक संरचना 15 मंजिल से अधिक होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि एक बार पैनल को अंतिम रूप देने के बाद जिला प्रशासन द्वारा वित्त विवरण तैयार किया जाएगा और स्ट्रक्चरल ऑडिट करवाने में जो भी लागत शामिल है, वह संबंधित डेवलपर द्वारा वहन किया जाएगा।
उपायुक्त ने कहा कि आमजन का जिला प्रशासन पर विश्वास है ऐसे में जरूरी है कि स्ट्रक्चरल ऑडिट के लिए ऐसी टीम तैयार की जाए जो निष्पक्ष रूप से कार्य करें। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भविष्य में किसी प्रकार की अप्रिय घटना का दोहराव ना हो इसके लिए निर्णायक कदम उठाए जा रहे हैं।