3 HCS सहित तत्कालीन DRO, तहसीलदार समेत 20 पर धोखाधड़ी का केस दर्ज
Gurugram News Network- मृतक व्यक्ति के प्लॉट की कनवेंस डीड करने के बाद उसकी प्रॉपर्टी को मार्केट वैल्यू से आधे दाम पर बेचने का मामला सामने आया है। इस मामले में सेक्टर-14 थाना पुलिस ने 3 HCS अधिकारियों, तत्कालीन DRO, तत्कालीन तहसीलदार, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों, स्टांप विक्रेता, नोटरी सहित 20 के खिलाफ केस दर्ज किया है। अदालत के आदेश के बाद सेक्टर-14 थाना पुलिस ने IPC 120B, 420, 465, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज किया है।
अदालत में दायर की गई याचिका में फाजिलका पंजाब के रहने वाले धर्मवीर ने बताया कि उसके पिता सुनील कुमार ने सेक्टर-23 गुरुग्राम में हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से एक प्लॉट लिया था। इसकी पेमेंट करने के बाद विभाग से उन्हें अलॉटमेंट लेटर दे दिया था। विभाग ने किन्हीं कारणों से उन्हें पहले अलॉट किया गया प्लॉट नहीं दिया। उसके स्थान पर इसी सेक्टर में उन्हें एक अन्य प्लॉट अलॉट करके वर्ष 2007 में लेटर भेज दिया। धर्मबीर ने बताया कि उनके पिता सुनील कुमार का निधन वर्ष 2010 में हो गया। उन्होंने पुलिस को बताया कि तत्कालीन डीआरओ कृष्ण लाल बिश्नोई उनके रिश्तेदार हैं जो अक्सर उनके घर आते रहते थे। उनके पिता के देहांत के बाद कृष्ण लाल बिश्नोई व उनके बेटे विकास बिश्नोई ने अपने एक जानकार कीरता राम के सुनील कुमार के नाम से दस्तावेज तैयार कराए और उनके प्लॉट की कनवेंस डीड सुनील कुमार के नाम पर वर्ष 2016 में करा दी। कनवेंस डीड बनवाने में कीरता राम की सुनील कुमार के नाम से पहचान करने में कृष्ण लाल बिश्नोई सुदेश कुमार, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के कर्मचारी संजय कुमार, सुभाष चंद ने गवाही दी।
उन्होंने बताया कि इस प्लॉट को बेचने के लिए उन्होंने सुनील कुमार के नाम से एक्सिस बैंक में खाता खुलवाया जिसमें नकली सुनील कुमार की शिनाख्त विकास बिश्नोई ने की है। उन्होंने अदालत को बताया था कि जिस प्लॉट की कीमत चार करोड़ रुपए है उसे करीब ढाई करोड़ रुपए में दिल्ली के रहने वाले रामपाल सिंह तोमर व निशि सिंह को बेचा गया और पेमेंट को इस नकली सुनील कुमार के बैंक खाते में ट्रांसफर कराया। इस बैंक खाते को खुलवाने के दौरान इसमें नॉमिनी का नाम असली सुनील कुमार की पत्नी शकुंतला का न देकर नकली सुनील कुमार (कीरता राम) की पत्नी सरूपी का नाम लिखवाया गया। इस खाते में आई रकम को आरोपियों ने आपस में बांट लिया। इसकी रजिस्ट्री तत्कालीन तहसीलदार ओम प्रकाश द्वारा की गई।
उन्होंने बताया कि प्लॉट की खरीद फरोख्त करने के दौरान बिना जांच के ही स्टांप पेपर खरीदे गए और रजिस्ट्री होने के बाद Indemnity bond जब हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के तत्कालीन संपदा अधिकारी के समक्ष रखा गया तो अलॉटमेंट लेटर, प्लॉट आवेदन की एप्लीकेशन से सुनील कुमार की न तो फोटो का मिलान किया गया और न ही हस्ताक्षर मिलाए गए। उन्होंने बताया कि भले ही संपदा अधिकारी बदलते रहे, लेकिन किसी भी अधिकारी ने यह जांच करके इस फर्जी कार्यवाही को रोकने का प्रयास नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस तरह से आरोपियों ने उनके साथ करीब 10 करोड़ रुपए का गबन किया है। इस धोखाधड़ी के बारे में जब उन्हें पता लगा तो उन्होंने पंजाब न्यायालय में केस दायर किया था, लेकिन मामला गुरुग्राम से जुड़ा होने के कारण पंजाब न्यायालय से केस को वापस लेना पड़ा।
इसके बाद उन्होंने गुरुग्राम न्यायालय में कृष्ण लाल बिश्नोई तत्कालीन DRO उनके बेटे विकास बिश्नोई, कीरता राम, रामपाल सिंह तोमर, निशा सिंह, तत्कालीन तहसीलदार ओम प्रकाश, तत्काली संपदा अधिकारी ओम प्रकाश, तत्कालीन संपदा अधिकारी तरुण कुमार पावरिया, सुदेश कुमार, HSVP कर्मचारी संजय कुमार, HSVP कर्मचारी सुभाष चंद, सीएल अरोड़ा, नरेश शर्मा, नवीन शर्मा, 2 नोटरी, स्टांप वेंडर राज सिंह, स्टांप वेंडर प्रदीप कुमार, तत्कालीन संपदा अधिकारी वत्सल वशिष्ठ के खिलाफ याचिका दायर की। मामले में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास अनिल कुमार यादव की अदालत ने CrPC की धारा 156(3) के तहत केस दर्ज करने के आदेश सेक्टर-14 थाना पुलिस को दिए। पुलिस ने अदालत के आदेश पर केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।