Gurugram News Network – अब तक आपने बिल्डर की मनमानी से निवेशकों को परेशान होते देखा होगा, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब कोर्ट ऑर्डर के बाद निवेशकों में खुशी और बिल्डर के लिए परेशानी खड़ी हो गई है। दरअसल, कोर्ट ने बिल्डर की संपत्ति को बेचकर निवेशकों को 20 करोड़ रुपए का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है। यह आदेश निवेशकों द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनाया है जिसमें निवेशकों ने कहा था कि बिल्डर ने उन्हें समय पर फ्लैट का पजेशन नहीं दिया।
दरअसल, सेक्टर-37डी स्थित रामप्रस्था सोसाइटी के 200 खरीददारों ने राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में याचिका दायर की थी। इस याचिका में खरीदारों ने कहा था कि रामप्रस्था बिल्डर ने उन्हें इस प्रोजेक्ट में साल 2012 में पजेशन देना था, लेकिन बिल्डर ने इसे 2018 में पूरा कर पजेशन दिया। इस पजेशन को देरी से देने के कारण उन्होंने मुआवजे की मांग की थी। इसको लेकर निवेशकों ने साल 2015 में राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम में याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सितंबर 2022 में निवेशकों के हक में फैसला आया था। इस फैसले के बाद जब आरडब्ल्यूए ने भुगतान के लिए बिल्डर को संपर्क किया तो बिल्डर ने कहा कि उनके पास भुगतान के लिए विलंब शुल्क नहीं है।
इस मामले में आरडब्ल्यूए ने एक बार फिर राष्ट्रीय उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया था। जिसके बाद फोरम ने बिल्डर की संपत्ति को अटैच कर दिया था जिसे अब बेचकर निवेशकों को यह राशि चुकाई जाएगी।सोसाइटी निवासी गौरव हांडा, अतनु भट्टाचार्य ने कहा कि निवेशकों को उनके फ्लैट के अनुसार 5 से 20 लाख रुपए विलंब शुल्क मिलेगा। अतनु भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें विलंब शुल्क के रूप में 8 लाख रुपए मिलने हैं। फोरम के इस फैसले के बाद सोसाइटी निवासियों में खुशी की लहर देखने को मिल रही है।