Gurugram News Network – हरियाणा रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (आरईआरए) ने सोमवार को एक सुनवाई के दौरान ILD ग्रीन प्रमोटर पर सख्ती दिखाई है। हरेरा चेयरमैन ने प्रमोटर को कड़े शब्दो में कहा कि प्रोजेक्ट की शेष इकाइयों के निर्माण को जल्द पूरा करे। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी निवेशक अपने सपनों का आशियाना मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। ऐसे करीब 200 आवंटियों को जल्द से जल्द पोजेशन देने के चेतावनी ILD को दी है।
हरेरा प्राधिकरण ने सुनवाई की अगली तारीख 17 अक्टूबर तय करते हुए अगले सात दिनों में बिल्डर बायर एग्रीमेंट (बीबीए) के तहत आवंटियों के खातों का बैलेंस स्टेटमेंट मांगा है। प्राधिकरण ने प्रमोटर को निदेशकों और कंपनी के हलफनामे, उनकी कुल संपत्ति, विधिवत नोटरीकृत, लीगल वैलिड स्पष्ट रूप से सात दिनों की अवधि के भीतर प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए हैं।
हरेरा के अध्यक्ष डॉ केके खंडेलवाल ने कहा कि प्राधिकरण के संज्ञान में आया है कि उपरोक्त प्रमोटर ने वर्ष 2019 में 15 अगस्त को हरेरा रजिस्ट्रेशन की अवधि समाप्त होने के बाद भी संबंधित प्रोजेक्ट में इकाइयों की खरीद- फरोख्त जारी रखी थी जबकि रियल एस्टेट (विकास और विनियमन) अधिनियम 2016 के तहत पंजीकरण की अवधि समाप्त होने के बाद 15 दिनों के भीतर पुनः पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने उपरोक्त प्रक्रिया में नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए रजिस्ट्रार एससी गोयल को नियुक्त किया है जोकि आगामी सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्राधिकरण को सौपेंगे। उन्होंने बताया कि सभी पार्टियां 07 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे एस सी गोयल के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं। प्राधिकरण द्वारा प्रमोटर को यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि वह प्राधिकरण के किसी भी आदेश या निर्देशों का पालन करने करने में विफल रहता है तो अधिनियम 2016 की धारा 63 के तहत प्राधिकरण द्वारा प्रतिदिन उस पर जुर्माना लगाया जाएगा जोकि परियोजना की अनुमानित लागत का 5 प्रतिशत तक हो सकता है।
डॉ केके खंडेलवाल ने कहा कि सेक्टर 37 सी स्थित आईएलडी ग्रीन एक दशक पुरानी एक समूह आवास परियोजना है। प्राधिकरण उपरोक्त परियोजना को पूरा करवाना चाहता है और यह सुनिश्चित करना चाहता है कि प्रमोटर पीड़ित आवंटियों को जल्द से जल्द इकाइयां सौंप दें। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण द्वारा नियुक्त इंजीनियर की रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना को रहने योग्य बनाने में काम शुरू होने के बाद 9 से 12 महीने के समय में कुल ₹ 36 करोड़ की राशि (जीएसटी अलग से) का अनुमान है।