विधानसभा चुनावों में ‘नोटा’ का रहेगा अहम रोल
गुरुग्राम न्यूज़ नेटवर्क – अगर मतदाता को चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों में से कोई भी पसंद नहीं आता है, तो इसके लिए वह नोटा (नन ऑफ द एबव, यानी इनमें से कोई नहीं) का बटन दबाकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकता है। ज्यादा संख्या में नोटा का इस्तेमाल कई बार नेताओं का चुनावी गणित प्रभावित कर देता है। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में नोटा का पहली बार इस्तेमाल किया गया था। जिले की सोहना, पटौदी, बादशाहपुर व गुड़गांव विधानसभा सीटों पर चुनावी रण में उतरे 62 प्रत्याशियों में 25 प्रत्याशियों को नोटा ने पीछे छोड़ दिया था।
बादशाहपुर में खूब दबा नोटा : पिछले चुनाव में बादशाहपुर विधानसीट पर जिले में सबसे ज्यादा 1287 लोगों ने नोटा का बटन दबाया था, जबकि 2 लाख 17 हजार 668 मतदाता ही अपने मत का इस्तेमाल कर सके थे। चुनावी मैदान में उतरे 14 प्रत्याशियों में से 7 प्रत्याशी नोटा के बराबर भी नहीं पहुंच सके थे। इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी राव नरवीर सिंह ने 86 हजार 672 मत हासिल कर जीत दर्ज कराई थी।
गुड़गांव दूसरे नंबर पर : पिछले विधानसभा चुनाव में गुड़गांव विधानसभा सीट पर 18 प्रत्याशी चुनावी रण में थे और 1 लाख 89 हजार 993 मतदाताओं ने मतदान किया था। इनमें से 1 हजार 414 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था। जिले में इस विधानसभा सीट पर दूसरे नंबर पर रहे मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था और 1 लाख 6 हजार 106 मत पाकर बीजेपी प्रत्याशी उमेश अग्रवाल चुनाव जीते थे।
पटौदी में 588 लोगों ने चुना नोटा : पटौदी विधानसभा सीट पर चुनाव में 10 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करने के लिए 1 लाख 33 हजार 939 लोगों ने मतदान किया था और 75 हजार 198 मत पाकर बीजेपी की विमला चौधरी एमएलए बनी थीं। यहां भी 588 मतदाताओं को कोई प्रत्याशी ऐसा नहीं लगा, जिसे वह एमएलए बनाना चाह रहे हों। वहीं 4 प्रत्याशी ऐसे रहे, जो नोटा की भी बराबरी नहीं कर सके थे।
पीछे रहे 3 प्रत्याशी : सोहना विधानसभा सीट पर पिछले चुनाव में 1 लाख 48 हजार 601 लोगों ने मतदान किया था। यहां गुड़गांव, बादशाहपुर व पटौदी के मुकाबले सबसे ज्यादा 20 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे और सबसे कम 290 लोगों ने नोटा का इस्तेमाल किया था।
बादशाहपुर में सबसे अधिक 1287 लोगों ने चुना था नोटा
जिले की 4 सीटों पर नोटा से भी पिछड़ गए थे 25 प्रत्याशी