मिलेनियम सिटी को प्रदूषित हवा से राहत दिलाने के नई योजना को मंजूरी
मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय और समय पर निष्पादन के महत्व पर बल दिया। सतत विकास के लिए हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना एक स्थायी भविष्य बनाने, वायु गुणवत्ता में सुधार करने और अन्य राज्यों के लिए एक मानदंड स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
Gurugram News Network – हरियाणा के मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी की अध्यक्षता वाली हरियाणा गवर्निंग कमेटी ने सतत विकास के लिए हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना (एचसीएपीएसडी) की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट के मसौदे को मंजूरी दे दी है। विश्व बैंक द्वारा वित्तपोषित इस महत्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य वायु प्रदूषण से निपटना और पूरे हरियाणा में सतत विकास को बढ़ावा देना है। इस परियोजना को छह वर्षों में लागू किया जाना है, जिसके पहले चरण के लिए 3,600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
परियोजना में कई क्षेत्रों में उत्सर्जन से निपटने के लिए चरणबद्ध दृष्टिकोण अपनाया गया है। पहले चरण में गुरुग्राम और फरीदाबाद पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें संस्थागत सुदृढ़ीकरण, कृषि और घरेलू उत्सर्जन को लक्षित किया जाएगा। कृषि और घरेलू क्षेत्रों में प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से प्रस्तावित हस्तक्षेपों को लागू करने के लिए प्रदेश भर में प्राथमिकता वाले समूहों की पहचान की जाएगी।
मुख्य सचिव डॉ. विवेक जोशी ने परियोजना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए अंतर-विभागीय समन्वय और समय पर निष्पादन के महत्व पर बल दिया। सतत विकास के लिए हरियाणा स्वच्छ वायु परियोजना एक स्थायी भविष्य बनाने, वायु गुणवत्ता में सुधार करने और अन्य राज्यों के लिए एक मानदंड स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पर्यावरण, वन और वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आनंद मोहन शरण ने बैठक में बताया कि परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के दौरान प्रत्येक विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की गई। परियोजना के लिए हस्तक्षेपों को अंतिम रूप देने के लिए कई बैठकें बुलाई गई। विभिन्न क्षेत्रों में प्रस्तावित उपायों को लागू करने में आने वाली चुनौतियों की पहचान करने के लिए क्षेत्र के कई दौरे किए गए और हितधारकों के साथ परामर्श भी किया गया।
परियोजना के पहले चरण में नीतिगत उपायों, तकनीकी हस्तक्षेपों और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के संयोजन के माध्यम से उत्सर्जन को कम करने की रणनीतियां शामिल हैं। डॉ. जोशी ने विकास और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन स्थापित करके एनसीआर में वायु प्रदूषण की चुनौतियों के समाधान में इस पहल के महत्व पर बल दिया।
परियोजना के तहत प्रमुख हस्तक्षेप कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करते हैं। निर्माण और विध्वंस कचरे के प्रबंधन के लिए, राज्य की योजना संग्रह प्रणालियों को सुव्यवस्थित करने, विरासत कचरे को संसाधित करने तथा प्रशिक्षण और मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के माध्यम से क्षमता बढ़ाने की है। मशीनों द्वारा सड़कों की सफाई, कच्ची सड़कों को पक्का करके और हरित क्षेत्र को बढ़ाकर धूल उत्सर्जन को कम किया जाएगा।
परिवहन क्षेत्र में परियोजना सार्वजनिक बसों के विद्युतीकरण को बढ़ावा देगी, इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर को अपनाने को प्रोत्साहित करेगी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करेगी। ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों (एटीएस) के माध्यम से पुराने और प्रदूषण फैलाने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
बॉयलर को अपग्रेड करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहनों की सहायता से उद्योगों द्वारा पीएनजी और सीएनजी जैसे स्वच्छ ईंधन में पारगमन किया जाएगा। ईंट बनाने के लिए टनल क्लिन और टैक्सटाइल कलस्टर के लिए सामान्य बॉयलर प्रणालियों समेत स्वच्छ प्रौद्योगिकियां शुरू की जाएंगी। लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) को निरंतर उत्सर्जन निगरानी प्रणाली (सीईएमएस) स्थापित करने में सहायता की जाएगी।
खाना पकाने की स्वच्छ प्रथाओं को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाकर घरेलू उत्सर्जन से निपटा जाएगा। गुरुग्राम और फरीदाबाद में शहरी उत्सर्जन को सड़क स्वामित्व और निर्माण एजेंसियों के साथ सहयोग बढ़ाकर निपटा जाएगा। इसमें कुशल सफाई, पक्की सड़क और शहरी हरियाली पहल जैसे उपाय शामिल हैं।
कृषि और किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजा शेखर वुंडरू ने बताया कि सरकार ने अगले साल तक शून्य पराली जलाने का लक्ष्य रखा है। कृषि क्षेत्र पशुधन अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करके इन-सीटू और एक्स-सीटू विधियों समेत स्थायी पराली प्रबंधन प्रथाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा। कृषि तथा ग्रामीण विकास विभागों के साथ सहयोग स्थापित करने के लिए एक माध्यमिक उत्सर्जन निगरानी केंद्र भी स्थापित किया जाएगा।