Haryana News: हरियाणा सरकार पर 400 करोड़ रुपये बकाया, बंद हो सकती है ये सरकारी योजना

हरियाणा में आयुष्मान-चिरायु कार्ड योजना के तहत करीब 550 निजी अस्पताल काम कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की हरियाणा इकाई ने दावा किया है कि हरियाणा सरकार ने इस योजना के तहत इलाज करा रहे मरीजों के 400 करोड़ रुपये से ज्यादा के बिल का भुगतान नहीं किया है।
इसके चलते निजी अस्पतालों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जानकारी के मुताबिक, आईएमए हरियाणा का एक प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष डॉ. महावीर जैन की अध्यक्षता में सीएम नायब सैनी से भी मिल चुका है, लेकिन अभी तक उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ है।
प्रदेश में बंद हो सकती है आयुष्मान योजना आईएमए का कहना है कि अगर सरकार की ओर से इसके समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत मरीजों का इलाज बंद करने को मजबूर हो जाएंगे। बताया जा रहा है कि जल्द ही आईएमए कमेटी इस मुद्दे से निपटने के लिए अगली रणनीति बनाने की तैयारी कर रही है।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी ने सितंबर 2018 में आयुष्मान योजना की शुरुआत की थी, ताकि गरीबों को बेहतर इलाज की सुविधा मिल सके। हरियाणा में इस समय करीब 1300 अस्पताल आयुष्मान भारत से सूचीबद्ध हैं, इनमें से 550 निजी अस्पताल हैं।
प्रदेश में कुल करीब 1.2 करोड़ लोग इस योजना के तहत पंजीकृत हैं, जो एक साल में 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। इसके लिए सरकार ने कुछ मापदंड भी तय किए हैं।
3 साल से समय पर नहीं हुआ भुगतान
आयुष्मान समिति के चेयरमैन डॉ. सुरेश अरोड़ा ने कहा कि अगर सरकार इसका समाधान नहीं करती है तो आयुष्मान अस्पतालों को अपनी सेवाएं बंद करनी पड़ेंगी। आईएमए हरियाणा के अनुसार डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल कई बार आयुष्मान से जुड़े लोगों से मिल चुका है और समस्याओं से अवगत करा चुका है।
ऐसे में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। आईएमए हरियाणा के सचिव डॉ. धीरेंद्र सोनी ने कहा कि सरकार ने बजट में पर्याप्त बढ़ोतरी नहीं की है।
इसके अलावा आयुष्मान अस्पतालों को पिछले 3 साल से पैसा नहीं मिला है और बिना वजह बिल भी काटे जा रहे हैं। जब अस्पताल से सवाल पूछे जाते हैं तो महीनों तक कोई जवाब नहीं मिलता। ब्याज भी नहीं दिया जा रहा
आईएमए हरियाणा के सचिव डॉ. धीरेंद्र सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि आयुष्मान योजना के तहत निजी अस्पताल बहुत कम खर्च पर काम कर रहे हैं। इसके बावजूद न केवल उन्हें भुगतान नहीं किया जा रहा है बल्कि समझौते के अनुसार ब्याज भी नहीं दिया जा रहा है। इससे निजी अस्पतालों में काफी रोष है।