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रैन बसेरे में सड़ रहा सरकारी रिकॉर्ड

Gurugram News Network- सर्दी शुरू होने के बावजूद भी नगर निगम अधिकारी शहर में रैन बसेरों की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। स्थायी रैन बसेरे में नगर निगम का रिकॉर्ड सड़ रहा है। अधिकारियों की लापरवाही के कारण बेसहारा लोग खुले आसमान के नीचे रात बिता रहे हैं। एक दिसंबर से शहर में रैन बसेरों को शुरू करने का निगम अधिकारियों का दावा खोखला साबित हो गया है।

दरअसल, सर्दी के मौसम में नगर निगम द्वारा रैन बसेरे चलाए जाते हैं। खुले आसमान के नीचे रात बिताने वाले लोगों को नगर निगम की टीम द्वारा रैन बसेरे में लाया जाता है। यहां उनको रात को रुकने के लिए गद्दे, रजाई का इंतजाम किए जाने के साथ ही रात का खाना, चाय व नाश्ते का इंतजाम भी किया जाता है। नगर निगम ने 1 दिसंबर तक इन रैन बसेरों को शुरू करने का दावा किया था, लेकिन दिसंबर माह के 14 दिन बीत जाने के बाद भी इन्हें पूरी तरह से शुरू नहीं किया जा सका है। नगर निगम द्वारा इस बार रैन बसेरे के बाहर बोर्ड तक नहीं लगाया गया है। ऐसे में यदि कोई रैन बसेरे को ढूंढते हुए आता है तो उसे इसके बारे में पता नहीं लग पाएगा।

 

नगर निगम के भीम नगर स्थित स्थायी रैन बसेरे के एक हिस्से में नगर निगम ने अपने रिकॉर्ड को कबाड़ की तरह फेंका हुआ है। आधे हिस्से की सफाई कर लोगों के रुकने की व्यवस्था की गई है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण यहां कोई भी नहीं आ रहा है। इस रैन बसेरे में बनाई गई किचन में रखा सामान भी खराब हो रहा है, लेकिन इसकी देखरेख के लिए कोई नहीं है। रैन बसेरे का एक कमरा नगर निगम के सफाई कर्मचारी को परिवार समेत रहने के लिए दिया गया है। वहीं अस्थाई रैन बसेरों पर भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इन अस्थायी रैन बसेरों के पास अस्थायी शौचालय लगाए जाते हैं ताकि इनमें रुकने वालों को कोई परेशानी न हो, लेकिन अब यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

 

वहीं, इस बारे में नगर निगम के सिटी प्रोजेक्ट ऑफिसर देवेंद्र कुमार से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने मामले में चुप्पी साध ली है। वहीं, नगर निगम कमिश्नर मुकेश कुमार आहूजा भी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। हैरत की बात यह है कि नगर निगम हर साल रैन बसेरों पर लाखों रुपए का बजट खर्च कर समय पर शुरू करने का दावा करता है, लेकिन यह दावा खोखला ही होता है। सर्दी शुरू होने के बावजूद भी निगम अधिकारियों की लापरवाही के कारण बेसहारा लोग खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है। यदि ठंड के कारण किसी बेसहारा की जान जाती है तो उसकी जवाबदेही किस अधिकारी की होगी।

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