संसद में 200 सवालों तक भी नहीं पहुंच पाए प्रदेश के सांसद
Apr 1, 2024, 10:42 IST

Gurugram News Network - लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। पार्टी ने 4 सांसदों को दोबारा टिकट दिया है। 2019 में भाजपा के ही प्रत्याशी सभी 19 सीटों पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। जनता ने अपनी आवाज उठाने के लिए इन्हें चुना था, लेकिन कोई भी सांसद 200 सवालों तक नहीं पहुंचा। भाजपा के 10 सांसदों में से अंबाला के सांसद रतन लाल कटारिया को पिछले साल मई में निधन हो गया जबकि हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह हाल ही में इस्तीफा देकर कांग्रेस में चले गए। संसद में 2 मंत्रियों को छोड़कर बाकी 8 सांसदों में से सबसे ज्यादा सवाल भिवानी- महेंद्रगढ़ से निवर्तमान सांसद धर्मबीर सिंह ने पूछे। उन्होंने 5 सालों में सरकार से 181 सवाल पूछे, जबकि दूसरे नंबर पर सोनीपत सांसद रमेश कौशिक रहे। उन्होंने संसद में सरकार ने 168 प्रश्न पूछे। वहीं, महेंद्रगढ़- भिवानी से सांसद धर्मवीर सिंह ने सांसद निधि कोष से सबसे ज्यादा 11.98 करोड़ रुपए के काम कराए। सबसे आखिरी पायदान पर रोहतक के सांसद अरविंद शर्मा रहे। वे 2.52 करोड़ रुपए ही खर्च पाए हैं। वे करीब 49 प्रतिशत राशि ही कोष से खर्च कर पाए। इसके अलावा रमेश कौशिक संसद में 168 सवाल पूछ पाए।सांसद निधि कोष के लिए 9.14 करोड़ रुपए मंजूर हुए जबकि वह 7.14 करोड़ ही खर्च कर पाए। संजय भाटिया ने संसद में 153 सवाल पूछे। उनके सांसद निधि कोष के लिए 11.15 करोड़ रुपए मंजूर हुए जबकि वह 9.35 करोड़ खर्च कर पाए। सुनीता दुग्गल ने 131 सवाल पूछे। कोष के लिए 9.57 करोड़ मंजूर हुए जबकि 6.86 करोड़ खर्च हुए। अरविंद शर्मा ने 130 सवाल पूछे। कोष में 4.99 करोड़ मंजूर हुए जबकि 2.52 करोड़ के काम कराए। बृजेंद्र सिंह ने 126 सवाल पूछे। 7.71 करोड़ रुपए कोष में मंजूर हुए जबकि 4.97 करोड़ खर्च किए गए। नायब सैनी ने 112 सवाल पूछे। निधि में 9.89 करोड़ मंजूर हुए जबकि 7.30 करोड़ खर्च हुए। रतन लाल कटारिया ने 72 सवाल पूछे। 5.10 करोड़ मंजूर हुए जबकि 2.70 करोड़ खर्च किए। वहीं, मंत्री होने के कारण कृष्ण पाल गुर्जर और राव इंद्रजीत संसद में सवाल तो नहीं पूछ पाए। कृष्ण पाल गुर्जर के कोष में 5.75 करोड़ मंजूर हुए जबकि वह 2.92 करोड़ खर्च कर पाए वहीं, राव इंद्रजीत के कोष में 6.47 करोड़ मंजूर हुए और वह 5.68 करोड़ खर्च कर पाए। आपको बता दें कि सांसदों के लिए सांसद निधि कोष का प्रावधान साल 1992-93 में लागू किया गया था। 2011 में सांसद निधि का सामान्य स्थिति में 5-5 करोड़ रुपए सालाना बजट का प्रावधान किया गया, लेकिन यह पैसा सांसदों की ओर से काम की सिफारिश करने पर ही मिलता है। यानी वे सालाना पांच करोड़ रुपए तक के ही काम करा सकते हैं। साल 2019 में सरकार बनने के बाद दुनिया में कोरोना ने दस्तक दी। इसके बाद यह भारत में भी पहुंच गया। इसकी वजह से अगले वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोई सांसद निधि जारी ही नहीं की गई। 6 अप्रैल 2020 से लेकर 9 नवंबर 2021 तक सांसद निधि स्थगित कर दी गई। 10 नवंबर 2921 से 31 मार्च 2022 तक के लिए सभी सांसदों के लिए 2-2 करोड़ का बजट तय किया गया।