Gurugram News Network - होली दहन और और दुल्हेंडी रंग खेलने को लेकर चले आ रहे असमंजस पर देर से ही सही, लेकिन ब्रेक लग गया है। सोमवार को साफ हो गया है कि पूर्णिमा के समापन के बाद मंगलवार को होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन सूर्यास्त से पहले होगा। इसके बाद लोग रंगों के इस त्यौहार पर एक दूसरे को रंग लगाएंगे। इससे पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि सोमवार शाम को होलिका दहन किया जाएगा और बुधवार को रंग खेला जाएगा।
एस्ट्रोलॉजर अल्का बधवार शर्मा ने बताया कि पूर्णिमा सोमवार शाम 4 बजकर 17 मिनट पर शुरू हुई है और यह 7 मार्च की शाम 6 बजकर 9 मिनट तक रहेगी। इसके समापन के बाद ही होलिका दहन होगा। जो लोग मंगलवार को ही रंग की शुरूआत करना चाहते हैं तो शाम साढ़े 6 बजे से लेकर 6 बजकर 50 मिनट तक शुभ मुहुर्त रहेगा जिसमें एक दूसरे को रंग लगाने से खुशियां और सौहार्द जीवन में आएगा।
उन्होंने बताया कि 8 मार्च को दुल्हेंडी का त्यौहार सुबह 6 बजकर 38 मिनट से रात 8 बजकर 10 मिनट तक मनाया जाएगा। इस दिन एक दूसरे को रंग लगाने से पहले अपने सारे मतभेद मिटा दें। उन्होंने बताया कि लाल रंग प्यार का रंग माना जाता है। इस रंग के साथ होली खेलने से जीवन में प्यार व अटूट बंधन का प्रवेश होता है। वहीं, पीला रंग पवित्रता और सामंजस्य का माना जाता है। आपसी भाईचारे को बढ़ाने के लिए हरे रंग का इस्तेमाल कर होली खेली जाए। वहीं, संतरी रंग को आध्यात्मिक उत्थान का रंग माना जाता है। होली खेलते वक्त इन्हीं रंगों का प्रयोग करना चाहिए ताकि हर किसी का जीवन खुशियों से भरा रहे।
उन्होंने कहा कि इन दिनों कैमिकल रंगों का लोग सबसे ज्यादा प्रयोग करने लगे हैं। यह केवल सभी के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि सभी के जीवन में पग-पग पर बाधाएं भी उत्पन्न करते हैं। ऐसे में सभी को आर्गेनिक रंगों का उपयोग करना चाहिए।